Page 10 - Mann Ki Baat - Hindi
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मिे पयािे िेश्ादसयो, ि्भदम सिि-सिि कलाकृदतयाँ औि समृदत
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उत्तिा्खंड की कुछ माताओं औि बहनों दिह्न बना िही हैं। माणा गा् की यात्ा
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ने जो पत् मुझे दल्खे हैं, ्ो भा्ुक कि के िौिान मैंने उनके इस यदनक प्यास
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िेने ्ाले हैं। उनहोंने अपने बेटे को, की सिाहना की िी। मैंने ि्भदम आने
अपने भाई को, ्खूब सािा आशी्ा्वि ्ाले पय्वटकों से अपील की िी दक ्ो
दिया है। उनहोंने दल्खा है दक उनहोंन े यात्ा के िौिान ़जयािा-से-़जयािा लोकल
कभी कलपना भी नहीं की िी दक हमािी प्ोडकरस ्खिीिें। इसका ्हाँ बहुत
सांसकृदतक धिोहि िहा ‘भोजपत्’, असि हुआ है। आज भोजपत् के उतपािों
उनकी आजीद्का का साधन बन को यहाँ आने ्ाले तीि्वयात्ी कािी
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सकता है। आप सोि िहे होंगे दक यह पसि कि िहे हैं औि इसे अचछे िामों पि
पिा माजिा है कया ? ्खिीि भी िहे हैं। भोजपत् की यह प्ािीन
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सादियो, मुझे यह पत् दल्खे हैं द्िासत उत्तिा्खंड की मदहलाओं के
िमोली दजले की नीदत-माणा घाटी जी्न में ्खुशहाली के नए-नए िंग भि
की मदहलाओं ने। ये ्ो मदहलाएँ हैं, िही है। मुझे यह जानकि भी ्खुशी हुई
दजनहोंने दपछले साल अकटटूबि में मुझ े है दक भोजपत् से नए-नए प्ोडकट बनान े
भोजपत् पि एक अनूठी कलाकृदत के दलए िाजय सिकाि मदहलाओं को
भेंट की िी। यह उपहाि पाकि मैं भी ट्ेदनंग भी िे िही है।
बहुत अदभभूत हो गया। आद्खि हमाि े िाजय सिकाि ने भोजपत् की
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यहाँ प्ािीन काल से हमािे शासत् औि िल्वभ प्जादतयों को सिदक्त किने के
ग्रनि इनहीं भोजपत्ों पि सहेजे जात े दलए भी अदभयान शुरू दकया है। दजन
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िहे हैं। महाभाित भी तो इसी भोजपत् क्त्ों को कभी िेश का आद्खिी छोि
पि दल्खा गया िा। आज ि्भदम की माना गया िा, उनहें अब िेश का प्िम
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ये मदहलाएँ इस भोजपत् से बेहि ही गा् मानकि द्कास हो िहा है। य े
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