Page 11 - Mann Ki Baat - Hindi
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उनकी भिपि सिाहना हो िही है।
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हमािी मशसलम माताओं औि बहनों न े
इस बािे में मुझे कािी कुछ दल्खा है।
अब ़जयािा-से-़जयािा लोगों को ‘हज’
पि जाने का मौका दमल िहा है। ‘हज
यात्ा’ से लौटे लोगों ने, द्शरकि
े
हमािी माताओं-बहनों ने दिट्ी दल्खकि
जो आशी्ा्वि दिया है, ्ो अपने आप में
बहुत प्ेिक है।
मेिे पयािे िेश्ादसयो, जममू-
क्मीि में मयूदजकल नाइरस हों, हाई
ू
एदटट्डस में बाइक िैलीज़ हों, िंडीगढ़
प्यास अपनी पिमपिा औि संसकृदत को के लोकल कलबस हों औि पंजाब में ढेि
सँजोने के साि आदि्वक तिककी का भी सािे सपोरस्व ग्रुपस हों, ये सुनकि लगता
जरिया बन िहा है। है, इंटिटेनमेंरस की बात हो िही है,
एड्िि की बात हो िही है, लेदकन बात
ें
मेिे पयािे िेश्ादसयो, ‘मन की बात’ कुछ औि है, ये आयोजन एक ‘कॉमन
में मुझे इस बाि कािी संखया में ऐसे पत् कॉज’ से भी जुड़ा हुआ है औि ये कॉमन
भी दमले हैं, जो मन को बहुत ही संतोर कॉज है – ड्रगस के द्खलाफ़ जागरूकता
िेते हैं। ये दिट्ी उन मुशसलम मदहलाओं ने अदभयान। जममू-क्मीि के यु्ाओं को
े
दल्खी हैं, जो हाल ही में हज यात्ा किके ड्रगस से बिाने के दलए कई इनो्दट्
े
आई हैं। उनकी ये यात्ा कई मायनों में प्यास ि्खने को दमले हैं। यहाँ मयूदज़कल
बहुत ्खास है। ये ्ो मदहलाएँ हैं, दजनहोंने
हज की यात्ा दबना दकसी पुरुर सहयोगी
या मेहिम के दबना पूिी की है औि ये
संखया सौ-पिास नहीं, बशलक 4 हज़ाि से
़जयािा है। यह एक बड़ा बिला् है। पहले
मुशसलम मदहलाओं को दबना मेहिम,
‘हज’ किने की इज़ाज़त नहीं िी। मैं
‘मन की बात’ के माधयम से सऊिी
अिब सिकाि का भी हृिय से आभाि
वयकत किता हूँ। दबना मेहिम ‘हज’ पि
जा िही मदहलाओं के दलए खासतौि पि
्ीमेन कोदड्डनेटस्व दनयुशकत की गई िी।
सादियो, बीते कुछ ्रथों में हज
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पादलसी में जो बिला् दकए गए हैं,
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