Page 47 - Mann Ki Baat - Hindi
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बोिसद सतयाग्ह (1923) – अनयाय के भ़िलाफ आवाज़
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x शुरुआर : 1923 में गुजरात के बोरसद तिसील में अंग्ज़ सरकार ने ‘सुरक्षा
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टि्स’ लगाया। यि टि्स अपराध रोकने के बिाने से लगाया गया ्ा लेहकन
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असल में जनता पर एक और बोझ ्ा।
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x सिदाि पटिेल की िभमका : सरदार पटिेल ने जनता को संगहित हकया और
समझाया हक यि टि्स अन्यायपूण्त िै। उन्िोंने लोगों को शांहत और अनुशासन
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के सा् हवरोध करने की प्रेरणा दी।
x अभहंसक प्रभरिोध : उन्िोंने गाँव-गाँव जाकर लोगों को जागरूक हकया।
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जनता ने टि्स देने से इन्कार कर हदया लेहकन किीं भी हिंसा निीं िोने दी।
x सिकाि की हाि : जनता की एकता और दृढ़ता के आगे अंग्ेज़ी सरकार को
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झुकना पडा और ‘सुरक्षा टि्स’ वापस ले हलया गया।
x प्रेिणा : इस आंदोलन से सरदार पटिेल ने यि हदखाया हक सतय, सािस और
एकता से िर ज़ुलम का जवाब हदया जा सकता िै।
खेडा और बोरसद सतयाग्ि दोनों िी ऐहतिाहसक घटिनाएँ ्ीं और ये दोनों घटिनाएँ
भारतीय जनशक्त की पिचान बन गईं। सरदार पटिेल के नेतृतव ने यि हसद्ध हकया
हक अहिंसा कोई कमज़ोरी निीं बकलक वि ताक़त िै जो साम्ाजयों को झुका सकती
िै।
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