Page 54 - Mann Ki Baat - Hindi
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संथाली भाषा का फिजजटलीकर्ण
कृ
सांस्तिक पहचान का संरक्षण
ु
फवरासत के अब्स्तत्व को सफनब्श्चत
ू
करने में महत्तवपण्ष भफमका फनभाता है।
ू
सांस्कृफतक संरक्ण में
फडफजटलीकरण की भूफमका
संथाल लोगों के फलए भार्ा उनकी
फवरासत और फवश्वदोब्ष्टट को व्यक्त
ृ
ू
करने के फलए एक महत्तवपण्ष माध्यम
रामजीत टुडू के रूप में काय्ष करती है। संथाली भार्ा
ओफडशा का फडफजटलीकरण इसके फवलुप्त होन े
ू
और हाफशए पर जाने जैसे महत्तवपण्ष
जोफखमों का समा्धान करता है। यह
भारत, बाँग्लादोेश और नेपाल में
फडफजटल पररवत्षन सांस्कृफतक संरक्ण
बोली जाने वाली संथाली भार्ा फवलुप्त
ू
को मत्ष रूप लेने में सक्म बनाता है।
ृ
होने के कगार पर है। अपनी समद्
इंटरनेट भौगोफलक सीमाओं से परे भार्ा
मौफखक परम्पराओं के फलए जाने जान े
के प्सार की सफव्धा प्दोान करता है।
ु
वाले संथाल लोगों ने ऐफतहाफसक रूप स े
ऑनलाइन शब्दोकोश, अनुवादो उपकरण
कहाफनयों और लोकगीतों के माध्यम
और समफप्षत संथाली वेबसाइटें भार्ा को
से अपने सांस्कृफतक मूल्यों, परम्पराओं
े
मानकीकृत और प्लफखत करते हैं।
और इफतहास को साझा फकया है। आज
सोशल मीफडया प्लटिॉम्ष और
े
के फडफजटल युग में संथाली भार्ा का
ू
यूट्ब भी संथाली लोकगीत और
संरक्ण तेजी से फडफजटलीकरण की
संगीत को बढ़ावा दोेते हैं। इससे युवा
ओर बढ़ रहा है। यह प्यास संथाल
ं
े
पीढ़ी को फहन्दोी और अग्रजी जैसी प्मुख
समदोाय की सांस्कृफतक पहचान को
ु
भार्ाओं के बढ़ते प्भाव के बीच अपनी
बनाए रखने और उनकी भार्ायी
ु
जड़ों से जड़े रहने में भी मदोदो फमलती
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