Page 58 - Mann Ki Baat - Hindi
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ग्ोबल िफिकल टूफर्ज़्ि
मेें बढ़िी आयुर्वेद की भूिमेका
मेरे प्यारे साफथयो, आपने दोेखा भारत की प्ाचीन ्धरोहरों में से एक
होगा, हमारे आस-पास कु्छ लोग आयुवदेदो आज वैब्श्वक स्तर पर एक नए
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ऐसे होते हैं, जो आपदोा में ्धय्ष नहीं खोते, रूप में उभर रहा है। आयुवदेदो फसि्फ एक
बब्ल्क उससे सीखते हैं। ऐसी ही एक फचफकत्सा पद्फत नहीं है, बब्ल्क जीवन का
मफहला हैं सुबाश्ी, फजन्होंने अपने प्यास एक समग्र दोब्ष्टटकोण है, जो शरीर, मन
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से दोल्षभ और बहुत उपयोगी जड़ी-
बूफटयों का एक अदो ्भुत बगीचा तैयार और आत्मा के सामंजस्य पर ज़ोर दोेता
फकया है। है। आयुवदेफदोक उपचारों की इस अनूठी
प््धानमंत्ी नरेन्द्र मोदोी प्णाली ने न केवल भारत में, बब्ल्क पूरी
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(‘मन की बात’ सम्बो्धन में ) दोफनया में स्वास््थ्य और फचफकत्सा के
क्ेत् में अपना फवशेर् स्थान बना फलया है।
इसका सबसे प्मुख उदोाहरण है भारत
का तेज़ी से उभरता ग्लोबल मेफडकल
टूररज़्म, फजसमें आयुवदेदो एक महत्तवपूण्ष
भूफमका फनभा रहा है।
आयुवदेदो की उत्पफत्त भारत में हज़ारों
“आयवदेदो एक प्कृफत-समथ्षक वर््ष पहले हुई थी। यह शरीर के तीन
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फचफकत्सा प्णाली है। यह फचफकत्सा दोोर्ों – वात, फपत्त और कि के संतुलन
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प्णाली रोग-कफद्रत होने के बजाय
उपचार के समग्र, व्यब्क्तगत दोब्ष्टटकोण को महत्तव दोेता है। वास्तव में इनका
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पर जोर दोेती है। आयवदेदो वर्षों के असंतुलन ही फवफभन्न बीमाररयों का
अवलोकन के बादो एकत् की गई कारण बनता है। आयुवदेफदोक फचफकत्सा
अनुकूल अनुभवात्मक फशक्ाओं स े का मुख्य उद्देश्य शरीर में इस संतुलन
प्ाप्त हुआ है। यह आ्धफनक फचफकत्सा को बहाल रखना और जीवनशैली में
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प्णाली से अलग है, जो अनुस्धान- सु्धार लाकर फवफभन्न रोगों की रोकथाम
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आ्धाररत साक्षय की कठोरता पर फनभ्षर करना है।
है।” इस फचफकत्सा पद्फत के तहत
–मनोरंजन साह ू और््धीय जड़ी-बूफटयों, पंचकम्ष, योग,
पव्ष डीन, आयवदेदो संकाय, आईएमएस, ध्यान और आहार सम्बं्धी फनयमों का
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वाराणसी और पव्ष फनदोेशक, उपयोग फकया जाता है, जो शरीर की
एआईआईए, नई फदोल्ली आंतररक शुफद्, मानफसक शांफत और
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