Page 49 - Mann Ki Baat - Hindi
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“सापथ्यो, आज ‘स्वच्छ िारत पमेशन’ की ही सिलता
          “ररड्स, री्यूज और            है पक ‘वस्टि टिू वल्थ’ का मेत् लोगों के बीच लोकपप्र्य हो रहा
              ू
                                            ये
                                                      ं
                                                ये
          रीसाइपकल” (पट्िल आर)         है। लोग ‘ररड्स, री्यूज और रीसाइपकल’ के बार मेें बात
                                                ू
                                                                    ये
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          का मेत् हमेार दैपनक जीवन      करन लग हैं और इसके उदाहरण दन लग हैं। अब मेुझ
                                           ये
                                             ये
                                                             ये
                                                             ये
                                                                       ये
                                                                ये
          का अपिन्न अंग बन ग्या है।
                                                                    ये
          ्यह पटिकाऊ प्र्यासों को      केरल के कोझीकोड मेें एक शानदार प्र्यास के बार मेें िता
                                                             ये
                                                                     ये
          बढ़ावा दता है, जो न केवल    चला है। ्यहाँ 74 वर्षशी्य सुब्रमेण््यमेजी न 23 हजार स अपधक
               ये
          ि्या्यवरण को लाि िहुँचात हैं    कुपस्य्यों की मेरम्मेत करके उन्दहें पिर स इस्तयेमेाल के ला्यक
                         ये
                                                             ये
          बस्ल्क संसाधनशीलता को िी     बना्या है। लोग उन्दहें ‘ररड्स, री्यूज और रीसाइपकल’ ्यानी
                                                      ू
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          प्रोत्सापहत करत हैं। दश िर मेें लोग
                                                                 ये
                             ये
          इन पसद्ांतों को पवपिन्न तरीकों स अिना    आरआरआर (पट्िल आर) चैस्म्ि्यन िी कहत हैं। उनके ्यये
                                           ये
                                                                    ू
          रह हैं। उदाहरण के पलए, कई लोग पसंगल-   अनोख प्र्यास कोझीकोड पसपवल स्टि़ेशन, िीड्धल््यडी और
            ये
          ्यूज प्लास्स्टिक के बजा्य किड़़े के थैलों का    एलआईसी के दफ्तरों मेें दख जा सकत हैं।”
                                                          ये
                                                           ये
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          उि्योग कर रह हैं, स्थानी्य कारीगर बकार
          िड़ी सामेग्री को सुंदर हस्तपशल्ि मेें बदल रह हैं।    -प्रधिानमंत्री मोदी ‘मन की बात’
                                   ये
          िुण और बेंगलुरु जैस शहरों मेें समेुदा्य द्ारा संचापलत
            ये
                      ये
          एक िहल पनवापस्यों को स्ोत िर ही कचर को अलग    सम्बोधिन म ें
                                  ये
                                  ये
          करन के पलए प्रोत्सापहत करती है, पजसस रीसाइस्क्लंग
             ये
          अपधक प्रिावी हो जाती है।
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          इस मेत् का एक शानदार उदाहरण केरल के कोझीकोड के 74 वर्षशी्य सुब्रमेण््यमेजी हैं, पजन्दहोंन 23,000 स  ये
                                                                  ये
                                         ये
          अपधक कुपस्य्यों की मेरम्मेत की है, पजसस व नई लगन लगी हैं। उनके उल्लयेखनी्य प्र्यासों न उन्दहें ‘आरआरआर
                                 ये
                                   ये
                                                              ये
          चैस्म्ि्यन’ का पखताब पदला्या है, पजसस उनके समेुदा्य के कई लोग प्रयेररत हुए हैं। मेन की बात मेें प्रधानमेंत्ी मेोदी
                                ये
                                  ये
          द्ारा उनकी उिलस््धध्यों का उल्लयेख करन के बाद सुब्रमेण््यमेजी को उनके गाँव मेें आँगनवाड़ी का्य्यकता्यओं द्ारा
          आ्योपजत एक स्वागत समेारोह मेें सम्मेापनत पक्या ग्या, जो इस बात को दशा्यता है पक इस तरह की सतत िहल
          व््यस्क्त्यों और उनके समेुदा्यों को पकतना गौरव और मेान्द्यता पदला सकती है। आइए दयेखें पक प्रधानमेंत्ी स इस
                                                                      ये
          मेान्द्यता िर सुब्रमेण््यमेजी की क््या प्रपतपक्र्या रही।
          “‘मेन की बात’ मेें प्रधानमेंत्ी द्ारा मेरा उल्लख पकए जान स मेरा िररवार और िड़ोसी बहुत खुश और गौरवास्न्दवत
                                          ये
                              ये
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                          ये
          ह। शो के प्रसारण के बाद मेर गाँव की आँगनवाड़ी का्य्यकता्यओं न मेर पलए एक स्वागत का्य्यक्रमे आ्योपजत पक्या।”
                                               ये
                                                ये
                                              ये
              जब पकसी क्पतग्रस्त कुसशी की मेरम्मेत की जाती है, तो उसका दोबारा इस्तयेमेाल पक्या जा सकता है, पजसस  ये
              कचर को पकसी उि्योगी वस्तु मेें बदला जा सकता है। इस प्रकार की कुसशी खासतौर िर िीठ दद्य स िीपड़त
                                                                     ये
                 ये
                                                                       ये
          लोगों के पलए उि्युक्त है। जब मेैं कुपस्य्यों की मेरम्मेत करता हूँ, तो सिाई कमे्यचारी मेरम्मेत स उत्िन्न कचर को
                                                               ये
          इकट्ा करत हैं, जो आमेतौर िर सप्ताह मेें एक बार होता है।
                 ये
          िहल मेैं एक पदन मेें छह कुपस्य्यों की मेरम्मेत करता था। अब मेैं अिनी वृद्ावस्था के कारण, एक पदन मेें केवल
             ये
          दो कुपस्य्यों की मेरम्मेत कर सकता हूँ।
                                        -सुब्ह्मण्यम मलेया्थोिी, कोझीकोि- केरले
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