Page 14 - Mann Ki Baat - Hindi, February,2023
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डॉ. मदन मपण : अभी तक मैंने 536   मोहन ्ा्जी हैं। अब ्ये भी स्योग ह  ै
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        िेशेंट देखे हैं।                  पक चंदौ्ी भी बनारस से सटा हुआ है।
            प्धानमत्री जी : ओह... ्यानी आिको   आइए मदन मोहनजी से जानते हैं पक
                 ं
        काफी इसमें महारत आ गई है।         ई-संजीवनी  को  ्ेकर  एक  मरीज़  के
            डॉ. मदन मपण : जी, अचछा ्गता   रूि में उनका अनुभव ््या रहा है ?
        है देखने में।                        प्धानमत्री  जी  :  मदन  मोहनजी,
                                                   ं
            प्धानमत्री जी : चप्ए, मैं आिको   प्णाम!
                 ं
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        शुभकामनाएँ  देता  हँ।  इस  टेक्ो्ॉजी   मदन  मोहनजी  :  नमसकार,
        का  उि्योग  करते  हुए  आि  पसक्कम   नमसकार साहब।
        के दूर-सुदूर जंग्ों में, िहाड़ों में रहन  े  प्धानमत्री जी : नमसकार! अचछा,
                                                   ं
        वा्े ्ोगों की इतनी बड़ी सेवा कर रह  े  मुझे बता्या ग्या है पक आि डा्यपबटीज
        हैं और खुशी की बात है पक हमारे देश   के मरीज़ हैं।
        के दूर-दराज़ क्त्र में भी टेक्ो्ॉजी का   मदन मोहनजी : जी।
                    े
        इतना बपढ़्या उि्योग हो रहा है। चप्ए,   प्धानमत्री  जी  :  और  आि
                                                   ं
        मेरी तरफ़ से आिको बहुत-बहुत बधाई।  टेक्ो्ॉजी  का  उि्योग  करके  टे्ी-
            डॉ. मदन मपण : थैंक ्यू!       कंसलटेशन कर-कर के अिनी बीमारी
            सापथ्यो, डॉ्टर मदन मपणजी की   के समबनध में मदद ्ेते हैं।
        बातों  से  साफ़  है  पक  ई-संजीवनी  ऐि,   मदन मोहनजी : जी।
        पकस  तरह  उनकी  मदद  कर  रहा  है।    प्धानमत्री जी : एक िेशेंट के नाते,
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        डॉ्टर मदनजी के बाद अब हम एक       एक ददजी के रूि में मैं आिके अनुभव
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        और मदनजी से जुड़ते हैं। ्ये उत्तर प्देश   सुनना  चाहता  हँ,  तापक  मैं  देशवापस्यों
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        के  चंदौ्ी  पज़्े  के  रहने  वा्े  मदन   तक इस बात को िहँचाना चाहँ पक आज
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