Page 18 - Mann Ki Baat - Hindi, February,2023
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आश्म,  मठ  और  अखाड़े  भी  शापम्
                                          थे। बंगा्ी िरमिराओं से जुड़ी पवपभन्न
                                                                     ृ
                                          पवधाएँ जैसे कीत्मन, बाउ्, गोपड़्यों नत्तों,
                                          श्ी-खो्,  िोटेर  गान,  छऊ-नाच,  शाम
                                          के का्य्मक्मों में आक््मण का केंद् बन  े
                                          थे।  हमारे  ्युवाओं  को  देश  के  सुनहर  े
                                          अतीत से जोड़ने का ्यह एक बहुत ही
                                          सराहनी्य प््यास है। भारत में ऐसी कई
                                          और प्क्टस हैं, पजनहें ररवाइव करने की
                                               े
                                          ज़रूरत है। मुझे आशा है पक इनके बार  े
                                          में होने वा्ी चचा्म ्ोगों को इस पदशा में
                                          ज़रूर प्ररत करेगी।
                                                े
                                              मेरे प्यारे देशवापस्यो, सवचछ भारत
                                          अपभ्यान ने हमारे देश में जन भागीदारी
                                          के मा्यने ही बद् पदए हैं। देश में कहीं
                                          िर भी कुछ सवचछता से जुड़ा हुआ होता
                                          है, तो ्ोग इसकी जानकारी मुझ तक
                                                 ु
                                          ज़रूर िहँचाते हैं। ऐसे ही मेरा ध्यान ग्या
        ऐपतहापसक दसतावेजों से ्यह िता च्ता   है, हरर्याणा के ्युवाओं के एक सवचछता
        है पक कभी ्ये क्त्र, संसककृत, पशक्ा और   अपभ्यान िर। हरर्याणा में एक गाँव है–
                     े
                                             े
        भारती्य संसककृपत का केंद् था। कई संत   दुलहड़ी। ्यहाँ के ्युवाओं ने त्य पक्या हमें
                  ं
        इसे  माि  सक्ांपत  में  कुमभ  स्ान  के   पभवानी  शहर  को  सवचछता  के  माम्े
        प्ए िपवत्र सथान मानते हैं। पत्रवेणी में   में एक पमसा् बनाना है। उनहोंने ्युवा
        आिको कई गंगा िाट, पशव मपदर और     सवचछता एवं जन सेवा सपमपत नाम स  े
                               ं
        टेराकोटा  वासतक्ा  से  सजी  प्ाचीन   एक  संगठन  बना्या।  इस  सपमपत  स  े
                    ु
        इमारतें देखने को पम् जाएँगी। पत्रवेणी   जुड़े ्युवा सुबह 4 बजे पभवानी िहँच जात  े
                                                                  ु
        की पवरासत को िुनसथा्मपित करने और   हैं। शहर के अ्ग-अ्ग सथ्ों िर ्य  े
        कुमभ िरमिरा के गौरव को िुनजजीपवत   पम्कर सफाई अपभ्यान च्ाते हैं। ्य  े
        करने के प्ए ्यहाँ पिछ्े सा् कुमभ   ्ोग  अब  तक  शहर  के  अ्ग-अ्ग
          े
        म्े का आ्योजन पक्या ग्या था। सात   इ्ाकों से कई टन कूड़ा साफ़ कर चुके
        सपद्यों बाद, तीन पदन के कुमभ महास्ान   हैं।
              े
        और म्े ने इस क्ेत्र में एक नई ऊजा्म   सापथ्यो,  सवचछ  भारत  अपभ्यान
                                                       ू
        का संचार पक्या है। तीन पदनों तक हर   का  एक  महत्विण्म  आ्याम  ‘वेसट  टू
        रोज होने वा्ी गंगा आरती, रुद्ापभ्ेक   वेलथ’ भी है। ओपडशा के केंद्िाड़ा पज़्  े
        और ्यज्ा में बड़ी संख्या में ्ोग शापम्   की  एक  बहन  कम्ा  मोहराना  एक
        हुए। इस बार हुए महोतसव में पवपभन्न   सव्यं  सहा्यता  समूह  च्ाती  हैं।  इस


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