Page 15 - Mann Ki Baat - Hindi, February,2023
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की टेक्ो्ॉजी से हमारे गाँव में रहन  े  में ्ाइन ्गी रहती थी। एक-एक पदन
          वा्े  ्ोग  भी  पकस  प्कार  से  इसका   का सम्य नुकसान होता था।
                                                     ं
          उि्योग भी कर सकते हैं। ज़रा बताइए    प्धानमत्री  जी  :  मत्ब,  आिका
          कैसे करते हैं ?                   सम्य भी बच जाता है।
              मदन  मोहनजी  :  ऐसा  है  सर  जी,   मदन मोहनजी : और िैसा भी व्य्य
          हॉकसिट्ें  दूर  हैं  और  जब  डा्यपबटीज   होता था और ्यहाँ िर पन:शुलक सेवाए  ँ
          हमको  हुआ  तो  हम  को  जो  है,  5-6   सब हो रही हैं।
          पक्ोमीटर  दूर  जा  कर  के  इ्ाज      प्धानमत्री  जी  :  अचछा,  जब  आि
                                                     ं
          करवाना िड़ता था, पदखाना िड़ता था?   अिने  सामने  डॉ्टर  को  पम्ते  हैं  तो
          और जब से व्यवसथा आि द्ारा बनाई    एक पवशवास बनता है। च्ो भई, डॉ्टर
                                       ू
          गई  है,  इसे  है  पक  हम  अब  जाता  हँ,   है,  उनहोंने  मेरी  नाड़ी  देख  ्ी  है,  मेरी
          हमारा जाँच होता है, हमको बाहर     आँखें देख ्ी हैं, मेरा जीभ को भी चैक
          के डॉ्टरों से बात भी करा देती     कर  प््या  है,  तो  एक  अ्ग  फीप्ंग
          हैं और दवा भी दे देती हैं। इसस  े  आता  है।  अब  ्ये  टे्ी-कंसलटेशन
          हमको  बड़ा  ्ाभ  है  और,               करते हैं तो वैसा ही संतो् होता ह  ै
          और ्ोगों को भी ्ाभ                          आिको ?
          है इससे।                                          मदन  मोहनजी  :
                    ं
              प्धानमत्री                                 हाँ, संतो् होता है पक
          जी  :  तो  एक  ही                              वो हमारी नाड़ी िकड़
          डॉ्टर  हर  बार                                रहे  हैं,  आ्ा  ्गा  रह  े
          आिको  देखते  हैं  पक                      हैं, ऐसा मुझे महसूस होता ह  ै
          डॉ्टर बद्ते जाते हैं ?                   और हमको बड़ा तबी्यत खुश
              मदन मोहनजी : जैसे उनको नहीं   होती है पक भई इतनी अचछी व्यवसथा
          समझ, डॉ्टर को पदखा देती हैं। वो ही   आि द्ारा बनाई गई है पक पजससे पक
          बात करके दूसरे डॉ्टर से हमसे बात   हमको ्यहाँ िरेशानी से जाना िड़ता था,
          कराती हैं।                        गाड़ी का भाड़ा देना िड़ता था, वहाँ ्ाइन
                   ं
                                                                    ु
              प्धानमत्री  जी  :  और  डॉ्टर   ्गाना  िड़ता  था  और  सारी  सपवधाए  ँ
          आिको जो गाइडेंस देते हैं, वो आिको   हमको िर बैठे-बैठे पम् रही हैं।
                                                     ं
          िूरा फा्यदा होता है उससे।            प्धानमत्री  जी  :  चप्ए,  मदन
              मदन  मोहनजी  :  हमको  फा्यदा   मोहनजी  मेरी  तरफ़  से  आिको  बहुत
          होता है। हमको उससे बहुत बड़ा फा्यदा   शुभकामनाएँ  हैं।  उम्र  के  इस  िड़ाव
          है  और  गाँव  के  ्ोगों  को  भी  फा्यदा   िर  भी  आि  टेक्ो्ॉजी  को  सीखे  हैं,
          उससे है। सभी ्ोग वहाँ िूछते हैं पक   टेक्ो्ॉजी का उि्योग करते है औरों
          भइ्या हमारा बीिी है, हमारा शुगर है,   को भी बताइए तापक ्ोगों का सम्य भी
          टेसट करो, जाँच करो, दवा बताओ और   बच जाए, धन भी बच जाए और उनको
          िह्े  तो  5-6  पक्ोमीटर  दूर  जाते  थे,   जो  भी  माग्मदश्मन  पम्ता  है,  उसस  े
          ्मबी ्ाइन ्गी रहती थी, िैथो्ॉजी   दवाइ्याँ भी अचछे ढंग से हो सकती हैं।


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