Page 10 - Mann Ki Baat - Hindi, February,2023
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्ोकपप््य  था।  इस  डा्यनेसटी  की  जड़ें   टे्ी-कंसलटेशन ्यानी दूर बैठे, वीपड्यो
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        आज के त्ंगाना से जुड़ी हैं। एक अन्य   कानफ्ेंस  के  माध्यम  से,  डॉ्टर  स  े
        िुरसकार  पवजेता  साइखौम  सुरचंद्ा   अिनी  बीमारी  के  बारे  में  स्ाह  कर
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        पसंहजी हैं। ्ये मैतेई िंग इस्रूमेंट बनान  े  सकते हैं। इस एि का उि्योग करके
        में अिनी महारत के प्ए जाने जाते हैं।   अब तक टे्ी-कंसलटेशन करने वा्ों
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        इस  इस्रूमेंट  का  मपणिुर  से  नाता  है।   की संख्या 10 करोड़ के आँकड़े को िार
                       ं
        िूरन पसंह एक पदव्याग क्ाकार हैं, जो,   कर  गई  है।  आि  कलिना  कर  सकत  े
        राज्ा-म्ुशाही,  न्यौ्ी,  हुड़का  बो्,   हैं,  वीपड्यो  कानफ्ेंस  के  माध्यम  से  10
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        जागर जैसी पवपभन्न म्यूपज़क फोमस्म को   करोड़ कंसलटेशंस! मरीज़ और डॉ्टर
        ्ोकपप््य बना रहे हैं। इनहोंने इनसे जुड़ी   के साथ अद भुत नाता – ्ये बहुत बड़ी
                                                    ्
        कई ऑपड्यो ररकॉपडिंगस भी त्यार की हैं।   अचीवमेंट है। इस उि्क्ध के प्ए मैं
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        उत्तराखंड के फोक म्यूपज़क में अिनी   सभी डॉ्टरों और इस सपवधा का ्ाभ
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        प्पतभा का प्दश्मन कर िूरन पसंहजी न  े  उठाने वा्े मरीज़ों को बहुत-बहुत बधाई
        कई  िुरसकार  भी  जीते  हैं।  सम्य  की   देता हँ। भारत के ्ोगों ने तकनीक को
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        सीमा  के  च्ते  मैं  ्यहाँ  सभी  अवारस्म   कैसे  अिने  जीवन  का  पहससा  बना्या
        की  बातें  भ्े  न  कर  िाऊँ,  ्पकन   है,  ्ये  इसका  जीता-जागता  उदाहरण
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        मुझे पवशवास है पक आि उनके बारे में   है। हमने देखा है पक कोरोना के का्
        ज़रूर िढ़ेंगे। मुझे उममीद है पक ्ये सभी   में  ई-संजीवनी  ऐि  इसके  ज़ररए  टे्ी-
        क्ाकार, िरफोपमिंग आरस्म को और     कंसलटेशन  ्ोगों  के  प्ए  एक  बड़ा
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        िॉिु्र बनाने के प्ए ग्रासरूट स िर   वरदान  सापबत  हुआ  है।  मेरा  भी  मन
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        सभी को प्ररत करते रहेंगे।         हुआ  पक  ््यों  ना  इसके  बारे  में  ‘मन
                                          की बात’ में हम एक डॉ्टर और एक
            मेरे  प्यारे  देशवापस्यो,  तेजी  से   मरीज़ से बात करें, संवाद करें और आि
        आगे  बढ़ते  हमारे  देश  में  पडपजट्   तक बात को िहँचाएँ। हम ्ये जानने की
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        इपड्या  की  ताकत  कोने-कोने  में  पदख   कोपशश करें पक टे्ी-कंसलटेशन ्ोगों
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        रही  है।  पडपजट्  इपड्या  की  शक्त   के प्ए आपखर पकतना प्भावी रहा है।
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        को  िर-िर  िहँचाने  में  अ्ग-अ्ग   हमारे साथ पसक्कम से डॉ्टर मदन
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        एेपस  की  बड़ी  भपमका  होती  है।  ऐसा   मपणजी हैं। डॉ्टर मदन मपणजी रहन  े
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        ही एक ऐि है, ई-संजीवनी। इस ऐि स  े  वा्े पसक्कम के ही हैं, ्पकन उनहोंन  े














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