Page 44 - Mann Ki Baat - Hindi, February,2023
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मानपसक सवास्थ्य को सही रखने की
पदशा में एक न्या द्ार भी खो् पद्या है,
जो इस पव््य से जुड़ी पवपभन्न कसटगमा
के कारण िेशेवर मदद नहीं ्ेते।
देश के पवपभन्न कोनों से ्ोगों
को 10 करोड़ कंसलटेशन प्दान करके,
ई-संजीवनी ने केव् 3 व्षों में सरकार
द्ारा संचाप्त दुपन्या का सबसे बड़ा
टे्ीमेपडपसन प्ट़फॉम्म होने का गौरव
े
प्ापत पक्या है। सवास्थ्य के प्बंधन को
बेहतर और आसान बनाने के प्ए
सवास्थ्य ररकॉड्ड के पडपजट्ीकरण
के महत्व को ध्यान में रखते हुए,
ई-संजीवनी रोपग्यों को आ्यष्मान भारत
ु
हेलथ अकाउंट (ABHA) नमबर जेनरेट
करने में भी मदद करता है। ्यह एक
रोगी की 14 अंकों की पवपशष्ट ID है, जो
उनके हेलथ ररकॉड्ड को कई पससटम
और सटेकहोलडस्म से जोड़ती है। अब
तक ्गभग 30 करोड़ ABHA IDs बनाए
गए हैं और राष्ट्ी्य पडपजट् हेलथ
इकोपससटम के साथ एकीकत पकए
कृ
गए हैं, पजनमें से 45,000 से अपधक ABHA
ID ई-संजीवनी ऐि के माध्यम से बनाई
गई हैं।
ई-संजीवनी इस बात का एक प्मुख
उदाहरण है पक कैसे भारत सरकार
द्ारा की गई पडपजट् िह् देश में
हेलथके्यर से्टर में क्ांपत ्ा रही है।
दूरसथ कंसलटेशन को समभव बना कर,
ई-संजीवनी सवास्थ्य सेवाओं को ग्रामीण
और दूरदराज़ के क्ेत्रों में ्ोगों के प्ए
सु्भ बना रहा है। ऐसे में ई-संजीवनी
की सफ्ता ने व्यािक हेलथ कवरेज के
्ोगों का साइकेपट्सट से कंसलटेशन ्क््य तक िहुँचने और प्त्येक भारती्य
करके खुद को ठीक करने के प्ए एक के प्ए हेलथके्यर को अपधक सु्भ,
सुरपक्त माध्यम बन ग्या। एक तरह प्भावी और ससता बनाने में पडपजट्
से ई-संजीवनी ने उन सभी ्ोगों के िह् की क्मता को प्दपश्मत पक्या है।
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