Page 48 - Mann Ki Baat - Hindi, February,2023
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डॉ. रणदीि गु्ेरर्या
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आंतररक पचपकतसा के अध्यक्, मेदांता और िव्म पनदेशक, एमस
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ई-संजीवनी ऐप : स्ास्थ् सेवाए आपक द्ार
भारत, कोपवड-19 महामारी के हैं। इससे ्मबे सम्य तक च्ने वा्ी
दौरान, नवाचार का धवजवाहक बन ग्या। बीमारी जैसे मधुमेह, उच् र्तचाि, गुदमे
दुपन्या के सबसे पवकपसत देश भी जब की समस्या आपद के रोपग्यों को भी ्ाभ
संि््म कर रहे थे, भारत सवास्थ्य सेवाओं हुआ है। चूँपक भारत में गैर-संचारी रोग
को नागररकों के प्ए अपधक सु्भ बढ़ रहे हैं और इनमें ्गातार इ्ाज की
बनाने के प्ए पवपभन्न नवाचारों के साथ आवश्यकता होती है, ई-संजीवनी ने ्ोगों
सामने आ्या। आज, भारत का सवास्थ्य के िरों में सवास्थ्य सेवाएँ ्ाकर इस
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सेवा क्त्र बड़े बद्ाव के दौर से गुज़र समस्या का समाधान पक्या है।
रहा है और ई-संजीवनी इस बद्ाव में कई ्ाभों के साथ-साथ ई-संजीवनी
सबसे आगे है। िूरे देश में अिनी िहुँच के ऐि ने हमारे देश में सवास्थ्य सेवा क्त्र
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साथ ई-संजीवनी ्ोगों को बड़े शहरों के की सबसे बड़ी चुनौपत्यों में से एक, ्यानी
पवशे्ज्ाों से िरामश्म करने में मदद कर ग्रामीण और दूरदराज़ के क्ेत्रों में डॉ्टरों
रहा है, वह भी पबना असिता् गए। की कमी को भी ह् कर पद्या है। भारत
्यह ग्रामीण क्ेत्रों में रहने वा्े के पट्यर-1 शहरों में डॉ्टरों की संख्या
्ोगों के प्ए पवशे् रूि से फा्यदेमंद सबसे अपधक है और जैसे-जैसे हम
है, पजनहें िह्े िरामश्म के प्ए दूर-दराज़ पट्यर-2, पट्यर-3 और दूरसथ क्ेत्रों की
के सथानों िर जाना िड़ता था, पजसके ओर बढ़ते हैं, ्यह संख्या कम होती जाती
िररणामसवरूि बड़े शहरों में ्यात्रा करने है। ऐसे क्ेत्रों में डॉ्टरों की कमी के
और रहने में अपतरर्त खच्म के साथ- कारण ्ोग आमतौर िर िरे्ू उिचार
साथ मज़दूरी का नुकसान भी होता था। ्या खुद ही दवा ्ेना शुरू कर देते हैं, जो
अब वे अिने िर बैठे ही ऐि के ज़ररए उनहें ठीक करने में मदद नहीं करती है
िरामश्म और पनरंतर इ्ाज के बारे में और कभी-कभी हापनकारक भी हो जाती
जानकारी आसानी से प्ापत कर सकते है। हा्ाँपक ई-संजीवनी के आगमन के
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