Page 49 - Mann Ki Baat - Hindi, February,2023
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साथ ्ोग अिने मोबाइ् उिकरणों के    माध्यम से डॉ्टरों को कसथपत के बारे में
          माध्यम से डॉ्टरों तक आसानी से िहुँच   बता सकते हैं। मेरा मानना है पक अगर
          सकते हैं। ऐि उनहें सही िरामश्म, पनदान,   ई-संजीवनी को इन तकनीकों के साथ
                                                 कृ
          दवा और आगे के इ्ाज में मदद कर     एकीकत पक्या जाता है, तो हम ऐि के
          रहा है। ऐि देश के ग्रामीण और दूरदराज़   माध्यम से उपचत पनदान और पचपकतसी्य
          के इ्ाकों में मानव संसाधनों की कमी   प्णा्ी सुपनकशचत कर सकते हैं तथा इसे
          को िूरा कर रहा है।                और भी आगे ्े जा सकते हैं।
              जैसा पक प्धानमंत्री ने अिने हाप््या   प्धानमंत्री  नरेनद्  मोदी  द्ारा
                                                            े
          ‘मन की बात’ समबोधन में राष्ट् के साथ   ई-संजीवनी  का  उल्ख  करने  से  ऐि
          साझा पक्या, 10 करोड़ से अपधक ्ोगों   को  अपधक  ्ोकपप््यता  हापस्  करने
          ने डॉ्टरों से िरामश्म करने के प्ए इस   और इसके उि्योग को बढ़ाने में मदद
          ऐि का उि्योग पक्या है। अगर हम इस   पम्ेगी। जैसे-जैसे अपधक ्ोग ऐि के
          संख्या का पवश्ेप्त पववरण देखें तो हम   ्ाभों के बारे में जागरूक होंगे, इसके
          आसानी  से  जान  सकते  हैं  पक  इसका   प्पत  अपधक  पवशवास  और  सवीककृपत
          सबसे  ़ज्यादा  ़फा्यदा  ग्रामीण  इ्ाकों   बढ़ेगी। ई-संजीवनी ऐि ने सवास्थ्य सेवा
                                             े
          के ्ोगों को हुआ है। इससे उन ्ोगों   क्त्र  में  नवाचार  के  प्ए  एक  पमसा्
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          के जीवन में महत्विण्म बद्ाव आ्या है,   का्यम  की  है  और  पदखा्या  है  पक
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          जो दूरदराज़ के क्ेत्रों में रहते हैं ्या जो   चुनौतीिण्म  सम्य  के  दौरान  भी  भारत
          अिनी कसथपत के कारण असिता् नहीं    सवास्थ्य सेवाओं को नागररकों के प्ए
          जा सकते हैं।                      अपधक सु्भ बनाने के प्ए अपभनव
              भारत में टे्ीमेपडपसन का भपवष््य   समाधानों के साथ आ सकता है।
          बहुत  उज्व्  है।  आने  वा्े  सम्य
          में  ई-संजीवनी  जैसे  ऐि  के  माध्यम  से
          िरामश्म की संख्या में वृपधि होना त्य है।   भारत में टे्ीमपडपसन के भपवष््य
                                                      े
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          ऐसी कई नई तकनीकें हैं, पजनहोंने रोगी   के बारे में डॉ. रणदीि ग्ेरर्या के
          के प्ए सवास्थ्य देखभा् को आसान     पवचार  जानने  के  प्ए  QR  कोड
                                             सकैन करें।
          बना पद्या है। उदाहरण के प्ए, महामारी
          के  दौरान,  अपधकांश  रोपग्यों  ने  अिनी
          ऑ्सीजन के सतर की जाँच करने के
          प्ए  ऑ्सीमीटर  जैसे  उिकरणों  का
          उि्योग पक्या और अिने मोबाइ् फोन
          के माध्यम से डॉ्टरों को इसके बारे में
          बता्या। इसी तरह, आज मरीज़ िर िर
          ही अिने ईसीजी की पनगरानी कर सकते
          हैं और पबना िर से बाहर पनक्े फोन के


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