Page 30 - Mann Ki Baat - Hindi
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जल संर्क्षण िें भार्तीय अभभयान
जल संसा्धनों का प्भावी ढंग से प्ब्धन
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फकया जा सकता है।
भारत का जल से सम्बं्ध प्ाचीन
ं
सभ्यताओं से है। यहाँ गंगा और फस्ध ु
नफदोयों के फकनारे की बब्स्तयाँ जल
स्ोतों के फनकट होने के कारण िल-
िूल रही थीं। बावफड़याँ, टैंक, खड़ीन
ं
आफदो जैसी पारम्पररक जल प्ब्धन
आलोक के. फसक्का प्णाफलयों को फवकफसत फकया गया,
कंट्री ररप्जेन्टेफटव (भारत) जो जल के प्फत गहरी सांस्कृफतक
े
अंतरराष्टट्रीय जल प्बं्धन संस्थान, नई फदोल्ली श्द्ा को दोशा्षती हैं। भारत अब कृफर्
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सम्बं्धी माँग में वफद्, जनसंख्या में
तीव्र वफद्, शहरीकरण, औद्ोगीकरण
ृ
और जलवायु पररवत्षन के कारण जल
‘ककैच दो रेन’ अफभयान के सुरक्ा से जड़ी चुनौफतयों का सामना
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पररणामस्वरूप लगातार दोो वर्षों (2021- कर रहा है। भूजल पर अत्यफ्धक
22 और 2022-23) में भूजल के ररचाज्ष में फनभ्षरता और इसके अत्यफ्धक दोोहन
मामूली वफद् और कुल भूजल फनष्टकर््षण के पररणामस्वरूप भूजल में तेजी स े
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में कमी, नफदोयों का पुनरुद्ार और कई कमी आ रही है। अपया्षप्त जल प्ब्धन,
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स्थानों पर स्थानीय जलाशयों में सतही प्फत व्यब्क्त जल की घटती उपलब््धता
जल की उपलब््धता में वफद् हुई है। और जलवायु पररवत्षन ने जल से जड़ी
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इसने न केवल लोगों के बीच वर्ा्ष जल असुरक्ा को और बढ़ा फदोया है। इसके
के संरक्ण के महत्तव के बारे में समझ पररणामस्वरूप जल संरक्ण में स्धारों
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पदोा की है, बब्ल्क यह आशा भी जगाई की तत्काल आवश्यकता का पता चलता
ै
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है फक समदोाय के नेतृत्व वाले फनरंतर है। ‘ककैच दो रेन’ अफभयान का उद्दश्य
े
प्यासों से स्थानीय स्तर पर जलवाय ु वर्ा्ष जल संचयन और संरक्ण को
अनुकूलन के माध्यम से जल असुरक्ा बढ़ावा दोेकर इन मुद्दों से फनपटना है।
को दोूर करने में मदोदो करने के फलए
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माननीय प््धानमंत्ी नरन्द्र मोदोी
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