Page 25 - Mann Ki Baat - Hindi
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          श्ोताओं को प्ररत फकया है, बब्ल्क राष्टट्र   की  बात’  भारत  के  भफवष्टय  का  एक
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          फनमा्षण में व्यब्क्तगत योगदोान के महत्तव   संवादोात्मक दोब्ष्टटकोण है, जो समय के
          को भी रेखांफकत फकया है।           साथ गफतशील रूप से फवकफसत हो रहा
              प््धानमंत्ी  नरेन्द्र  मोदोी  ने  भारत   है। जलवायु चुनौफतयों पर क्राउडसोफसयंग
          के  समृद्  इफतहास  और  संस्कृफत  के   इनपुट से लेकर साव्षजफनक स्वच््छता पर
          उदोाहरणों  को  समकालीन  सामाफजक   नागररक प्यासों की प्शंसा तक, मन की
          लक्षयों  के  ताने-बाने  में  बुनते  हुए,   बात की यात्ा अपनी भूफमका में सहभागी
          नागररकों को दोेश की संस्कृफत, फवरासत   तथा आत्मफनरीक्क दोोनों की रही है और
          और  इसके  कालातीत  प्तीकों  पर  गव्ष   इससे पहले फकसी भी भारतीय प््धानमंत्ी
          की  गहरी  भावना  पैदोा  करने  के  साथ-  ने इस तरह की यात्ा नहीं की। यह शायदो
          साथ कार्षवाई करने के फलए प्ोत्साफहत   कोई आश्चय्ष की बात नहीं है फक ‘मन की
          करने का प्यास फकया है।            बात’ ने साव्षजफनक संचार, व्यावहाररक
              ‘मन की बात’ ने ‘प्ाचीन प्चलन’   अथ्षशास्त्  और  भार्ा  मॉडल  से  लेकर
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          से प्रणा लेते हुए प्ौद्ोफगकी के अफभनव   फवफव्ध  फवर्यों  पर  सहकमजी  समीक्ा
          उपयोग और प्वीणता; दोोनों के माध्यम   पफत्काओं  में  कई  हज़ार  अकादोफमक
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          से  ‘आ्धफनकता’  को  प्ोत्साफहत  फकया   शो्ध पत्ों को प्ररत फकया है। ऐसे युग
          है। कई भार्ाओं और बोफलयों में इसके   में,  जब  साव्षजफनक  संवादो  ईएसजी,
          अनुवादो  के  साथ  यह  प्सारण  भारत   डीईआई  और  सीएसआर  के  पब्श्चमी
          के  सबसे  दोूरदोराज  इलाकों  तक  भी   मॉडलों से भरे हुए हैं, प््धानमंत्ी नरेन्द्र
          पहुँचता है। इसकी बहुभार्ी उपब्स्थफत ने   मोदोी ने सामाफजक-आफथ्षक फवकास के
          प्ाकृफतक  भार्ा  प्संस्करण  (एनएलपी)   एक फवफशष्टट भारतीय मॉडल के उदो ्भव
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          और  AI  में  शो्ध  को  भी  प्ररत  फकया   की नींव रखी है।
          है,  फजसका  उपयोग  भारतीय  भार्ाओं   ‘मन की बात’ के इन दोस वर्षों के
          मशीन  अनुवादो  तकनीकों  को  बेहतर   माध्यम  से  उभरने  वाला  नरेन्द्र  मोदोी
          बनाने के फलए फकया जा रहा है।      मॉडल,  लोगों  और  स्थानीय  समुदोायों
              ‘मन  की  बात’  के  सबसे       को अपने फदोल में रखता है और उनकी
          उल्लेखनीय पहलुओं में से एक इसका   संस्कृफत तथा परम्पराओं में गहराई से
          गैर-राजनीफतक  स्वरूप  है।  प््धानमंत्ी   फनफहत  है।  यह  मोदोी  मॉडल  आ्धफनक
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          मोदोी  ने  जानबूझकर  प्सारण  को   फवज्ाान और प्ौद्ोफगकी द्ारा संचाफलत है
          राजनीफतक चचा्ष से मुक्त रखा है और   और एक समग्र दोब्ष्टटकोण द्ारा फनदोफशत
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          इसमें राष्टट्रीय एकता और प्रणादोायक   है, जो आजीफवका, प्कृफत तथा पया्षवरण
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          कहाफनयों पर ध्यान कफद्रत फकया है। इस   पर प्भावों के प्फत सचेत है। इस प्कार
          गैर-राजनीफतक  स्वरूप  ने  काय्षक्रम   प््धानमंत्ी नरेन्द्र मोदोी ने ‘मन की बात’
          को  राजनीफतक  गफलयारों  के  पार  इसे   के  माध्यम  से  इस  फवफशष्टट  भारतीय
          नागररकों  के  साथ  जोड़ा  है,  फजससे   मॉडल  के  साथ  सामाफजक-आफथ्षक
          इसकी व्यापक अपील और दोीघ्षकाफलक   फवकास  के  फलए  उच्  मानदोंड  स्थाफपत
          प्भाव सुफनब्श्चत हुआ है।          फकया है, फजसके आ्धार पर भफवष्टय के
              यफदो  नेहरू  की  ‘फडस्कवरी  ऑफ़   नेताओं,  सरकारों,  कॉरपोरेट्स  और
          इंफडया’ भारत के अतीत की एक स्थायी   साव्षजफनक  संस्थानों  का  मूल्यांकन
          फखड़की  थी,  तो  नरेन्द्र  मोदोी  के  ‘मन   फकया जाएगा।


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