Page 27 - Mann Ki Baat Hindi
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लाहौर की िट्ल जेल िे भगत सिंह का अ्ने (बि्न के) समरि जयदे्व गुपता को सलखा ्रि
की टनरथमाकता और क्रांटतकारी का अपने नहीं, एक जीते-जागते आदशमा हैं, एक लौ
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उद्शय के टलए जीना और सहना ही कत्तमावय हैं जो आज भी भारत के य्वाओं का मागमा
है, के बारे में प्रभा्वशाली ढंग से टलखा। प्रकाटशत करती है। उनके अनेक टचत्रों में
्वे कहते थे टक क्रांटतकारी कतयों को ग्वमा ्वो अमर चेहरा देख आज भी ग्वमा और श्रद्धा
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से स्वीकारना चाटहए ्योंटक इनहें नकारना की अनुभटत होती है। उनके श्द आज भी
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उनका राजनीटतक उद्शय कमजोर कर नयाय और समानता के टलए बहस, टचंतन
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देगा। उनकी रचनाएँ टदखाती हैं टक ्वे और आंदोलनों को प्रररत करते हैं। समान
के्वल कममाशील नहीं, बशलक ऐसे ट्वचारक और जागरक भारत का उनका सपना
भी थे जो अपने समय से कहीं आगे की आज भी समाज बदलने की इचछा रखन े
सोचते थे। ्वालों का मागमादशमान करता है। एक शहीद
जनम के एक शता्दी बाद भी शहीद से अटधक, भगत टसंह एक शाश्वत आदशमा
भगत टसंह के्वल इटतहास का अधयाय हैं—सदा के टलए य्वा प्रतीक।
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