Page 24 - Mann Ki Baat Hindi
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जाना छोड़ टदया और लाहौर के नेशनल
कॉलेज में प्र्वेश टलया। टकशोरा्वसथा में
भी ्वे आयु से कहीं अटधक पररप््व थ े
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और मातृभटम के टलए जी्वन समटपमात
करने का संकलप रखते थे। जब उनके
माता-टपता ने उनका ट्व्वाह करने की
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इचछा जताई तो उनहोंने दढताप्वमाक
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इंकार करते हुए कहा, “अगर मेरा ट्व्वाह
ग़लाम भारत में होता है तो मृतय ही मेरी
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दुलहन होगी।”
साइमन कमीशन के ट़िलाफ
िरदार भगत सिंह की फाँिी की ‘द सट्बयून’ शाटतपणमा ट्वरोध प्रदशमान के दौरान पटलस
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में 1931 में प्कासशत िमािार रर्ोट्ड
के बबमार लाठी चाजमा के कारण 1928 में
बाग़ हतयाकांड सथल का दौरा टकया लाला लाजपत राय के टनधन का भगत
ै
जहाँ टरिटिश सटनकों ने जनरल डायर
के आदेश पर सैकड़ों टनददोष भारतीयों
को मार डाला था। उस र्तरटजत भटम
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ने उनके मन पर गहरी छाप छोड़ी और
उनका संकलप पहले से अटधक मजबूत
हो गया।
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भगत टसंह ने प्रारशमभक पढाई गा्व
में की और बाद में लाहौर के डीए्वी
(दयाननद ऐंगलो-्वटदक) सककूल में जारी
ै
रखी। सरकारी सककूलों के बटहष्कार के
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िट्ल अिेंबली हॉल में भगत सिंह
गाँधी जी के आह्ान पर उनहोंने सककूल द्ारा फेंका गया ्िा्त
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