Page 26 - Mann Ki Baat Hindi
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से  फेंके  गए  थे।  उनहें  लाहौर  साटजश   ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ ने उनहें सदा के
        मामले में मृतयुदंड सुनाया गया। कायमा्वाही   टलए अमर कर टदया।

        तेजी से टनपिाने के टलए टरिटिश ग्वनमार   भगत टसंह के लेखों से पता चलता

        जनरल  ने  एक  ट्वशेष  नयायाटधकरण   है टक ्वे नयाय और समानता के पक्षधर

        सथाटपत करने का अधयादेश जारी टकया   थे। उनहोंने  जी्वन के अंटतम दो ्वषमा जेल
        टजसने अटभयु्तों को अपील करने का   में  कािते  हुए  ़िूब  लेखन  टकया।  जेल

        अटधकार तक नहीं टदया।              में रहते हुए उनके ट्वचार और भी गहरा

            23  माचमा,  1931  को  भगत  टसंह,   गए थे। उनकी ‘जेल नोिबुक’ बताती है

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        राजगुरु और सुखद्व, लाहौर सेंट्रल जेल   टक उनकी सोच टकतनी असाधारण थी,
        में ‘इंकलाब टजनदाबाद!’ का नारा बुलंद   उनका मन समाज्वाद, धममा, नयाय, ग़रीबी

        करते हुए फाँसी के फंदे पर झूल गए।   और  क्रांटत  जैसे  प्रश्ों  से  जूझता  था।

        भगत टसंह के टलए, देश के टलए मरना   उनके लेख ‘मैं ्यों नाशसतक हूँ’ में जहाँ
        कोई त्रासदी नहीं बशलक मातृभटम के प्रटत   उनकी बौटद्धक ईमानदारी का पता चलता
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        प्रम का सबसे बड़ा उतस्व था। फाँसी के   है  ्वहीं  ्वे  अंधट्वश्वास  को  भी  नकारते
        फंदे की ओर बढते समय उनके गाए गीत   हैं।  उनहोंने  श्रम  की  गररमा,  आतमहतया




























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