Page 37 - Mann Ki Baat - Hindi
P. 37

‘से-ट्ीज़’



           बेंगलुरु में इंजीहनयर कहपल शमा्त अपनी सं््ा ‘से-ट्ीज़’ के माधयम से शिर
           के जलाशयों को पुनजजीहवत कर रिे िैं। वे अब तक देश के हवहभन्न राजयों की
           50 झीलों का पुनरुद्धार कर चुके िैं।

           2030 का उनका भमशन


             x  500 झीलरों का पुनरुद्धाि

             x  1 लाख भकसानरों के साथि िलदाि पेड़ लगाना







           एक भदन झील के पास पौधािोपण किरे हुए मुझे एक बार
           ्पषटि महसूस हुई भक अगि पेड़रों से ज़मीन को जीवन भमलरा
           है रो झीलें लोगरों को जीवन देरी हैं। इसभलए 2017 में मैंने
           पहली बाि झील पुनरुद्धाि की अपनी योजना शुरू की। यह
           चुनौरीपूण्त, अभनसशचर औि मेिी कलपना से कहीं अभधक
           जभटिल  काय्त  भनकला।  लेभकन  जब  एक-एक  बूँद  पानी
           लौटिने लगा, हि पं्छी वापस आने लगा औि आसपास के
           समुदायरों के चेहिे पि मु्कान लौटिने लगी रो मुझे यकीन
           हो गया भक मेिा यह प्रयास साथि्तक है। उस एक झील से   -कभपल शमा्त,
           यह आंदोलन आगे बढ़ा। यह सब स्िव नहीं होरा यभद   सं्थिापक औि ट््टिी,
           सिकािी अभधकारियरों का सहयोग औि उससे िी बढ़कि   से-ट्ीज़ एनवायिमैंटिल
           उन ्थिानीय समुदायरों का साथि हमें न भमला होरा भजनहरोंने   ट््टि
           इन झीलरों को भिि से अपना बना भलया।



          अक्बकापुर  के  कचरा  योद्धाओं
          से लेकर बेंगलुरु के जल रक्षकों
          तक  की  ये  पिलें  जनभागीदारी
          की सच्ी भावना दशा्तती िैं हक
          नागररक अब समुदायों, कॉपपोरेटस
          और  ््ानीय  अहधकाररयों  के
          सा् हमलकर काम कर रिे िैं।
                                                 मंधाि झील, पुणे






                                        37
                                        37
   32   33   34   35   36   37   38   39   40   41   42