Page 36 - Mann Ki Baat - Hindi
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िगा्वबाई वयाम
                                   ु
                               पद्मश्री गोंड कलाकाि


           बवलुप्त होिी कलषा और कहषाननयों कषा संरक्ण


            प्धानमंत्ी ने ‘मन की बात’ में िेश की अनमोल द्िासत के संिक्ण में हो िहे
                                                             ु
        अनेक प्यासों की सिाहना की। ऐसी ही एक संिक्क औि कलाकाि हैं िगा्वबाई वयाम।
        इनहें 2022 में गोंड कला को पुनजनीद्त किने के दलए पद्मश्री से सममादनत दकया गया
        िा। एक कुशल गोंड कलाकाि होने के साि-साि ्ह यु्ा पीढ़ी को इसे दस्खाने का भी
        प्यास कि िही हैं औि उनहें कला के माधयम से भाित की लुपत हो िही लोक किाओं
        से अ्गत किा िही हैं।


                                           े
            गोंड पेंदटग िी्ािों पि की जाती है।   ि्ताओं की कहादनयाँ, बाँस की उतपदत्त
                  ं
        पहले  लाल,  काली  औि  िामिाज  दमट्ी   की  कहानी,  धिती  माता  की  कहानी,
        से बने िंगों से शुरुआत हुई औि आज   जनम-कम्व के बािे में... गा् की लुपत हो
                                                             ँ
        एक्दलक िंगों का भी प्योग दकया जाता
           े
        है। मैं बिपन से शािी-बयाह, िी्ाली औि
        फ़ालगन में सजा्ट के दलए िी्ािों पि
             ु
        माटी  के  दित्  बनाती  िी,  पि  मुझे  गोंड
                                 े
        पेंदटग नहीं आती िी। जब मैं औि मिे पदत
           ं
        भोपाल  में  िहने  लगे,  तब  मैंने  जनगढ़
                      ं
        दसंह  ्याम  से  पेंदटग  किना  सी्खा,  ्ह
        मिे  गुरु  हैं।  उनहीं  से  मैंने  गोंड  पेंदटग
                                    ं
          े
        सी्खी औि मिे पदत ने भी मुझे यह कला
                  े
        दस्खाई।
            हमािी िािी के ज़माने के लोग दजन
        कहादनयों को सुनाते िे, उन पि खासकि
        मैंने  ्खूब  दित्कािी  की  है,  जैसे  ि्ी-
                                   े

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