Page 34 - Mann Ki Baat - Hindi
P. 34
दलए कई किम उठाए हैं, जो मदहला में 18 दित्काि द्दश्ट भाितीय कला
सशकतीकिण औि भाितीय संसकृदत शैदलयों का उपयोग किके पुिाणों पि
्व
की बहुलता का प्तीक हैं। आधारित आकरक दित् किा पुसतक रें
भाित की सांसकृदतक द्िासत के बना िहे हैं, ्हीं िमोली दज़ले की नीदत-
दनश्ित पुनजा्वगिण ने द्््-सति पि भी माणा घाटी की मदहलाएँ भोजपत्ों को नया
भाित की शसिदत को मज़बूत दकया है। जी्न िे िही हैं, दजन पि महाभाित भी
हाल ही में स्िेश ्ापस लाए गए 300 स े दल्खा गया िा। ििनातमक अदभवयशकत
े
अदधक पिा्शर अपनी ििना में भाित के दलए भाित के द्दभन्न कला रूपों को
ु
की ऐदतहादसक औि सांसकृदतक जड़ों पुनजनीद्त किने के अला्ा लोग भाित
के प्तीक हैं औि ये उस अपनेपन तिा की ऐदतहादसक औि प्ाकृदतक द्िासत
ें
पिमपिा का प्दतदनदधत् किते हैं, दजनह ् े को शा््त बनाने के तिीके भी ्खोज िहे
अपने साि लेकि िलते हैं। स्िेश लाए हैं। प्धानमंत्ी ने िाजकोट के कलाकाि
े
गए ये पिा्शर भाित के सांसकृदतक स्गनीय प्भात दसंह मोडभाई बिहाट द्ािा
ु
ु
खज़ाने की सिक्ा औि उनकी पुनः बनाई गई पेंदटंग का ह्ाला दिया, दजसमें
प्ाशपत किने औि उन जड़ों औि उनस े छत्पदत दश्ाजी महािाज के जी्न का
द्कदसत हुए लोगों का सममान किन े एक महत््पूण्व प्संग है। उनहोंने यह भी
की सिकाि की प्दतबद्ता के प्माण के बताया दक कैसे तदमलनाडु के सुिेश
रूप में ्खड़े हैं। इतना ही नहीं, भाित आज िाघ्न अपने दित्ों के माधयम से पौधों
40 प्भा्शाली UNESCO द््् धिोहि औि जान्िों के बािे में जानकािी
सिलों का िा्ा किता है, जो भाित को संिदक्त कि िहे हैं, ्खासकि उनके बािे
ं
असाधािण द्िासत के सिक्क के रूप में, जो द्लुपत होने के कगाि पि हैं।
में मानयता िेता है। ये छोटे, लेदकन महत््पूण्व प्यास
इस सांसकृदतक जागृदत को अगली भाित की समृद् संसकृदत के प्दत
पीढ़ी तक ले जाने के दलए इसके साि गहिी जागृदत औि इसकी द्िासत
अब लोगों की भागीिािी भी जुट गई है। को संिदक्त किने के दलए लोगों की
प्धानमंत्ी ने ‘मन की बात’ के अपने िृढ़ प्दतबद्ता को िशा्वते हैं। यह अमृत
103्ें एदपसोड में उन नागरिकों के काल हमें अपनी सभयतागत द्िासत
प्यासों की सिाहना की, जो भाित की को अपनाने, सुिदक्त ि्खने, बढ़ा्ा िेने
ु
पािमपरिक द्िासत के संिक्ण औि औि िदनया का नेतृत् किने का अ्सि
पुनरुद्ाि में लगे हुए हैं। जहाँ उज्न प्िान किता है।
ै
30
30