Page 62 - MANN KI BAAT (Hindi)
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नेताजी सुभार चंद्र बोस


                       आैपनिवेश्शक शासि क खििाफ मुिर आवाज़
                                               े





           23   जनिरी    यानी   उनकी          माननीय प्रधानमंत्री नरेनद्र मोिी ने
           जनमजयंती को अब हम ‘परारिम      अपने ‘मन की बात’ समबोधन में सुभाष
        खििस’ के रूप में मनाते हैं। उनके शौय्ष   चंद्र बोस की बहािुरी की तसिीर प्रसतुत
        से जुड़ी इस गाथा में भी उनके परारिम   की। नेताजी का वयककतति ऐसा था खक
        की झलक खमलती है... सुभाष बाबू एक
        खिजनरी थे। साहस तो उनके सिभाि में   िे खकसी खफलम के हीरो की तरह खििते
        रचा-बसा था... िेश भर के लोगों से मेरा   थे। भारत के सितंत्रता संरिाम के सबसे
        आरिह है खक िे उनके बारे में अखधक-  प्रभािशाली  नेताओं  में  से  एक  नेताजी
                                                                   े
        से-अखधक  पढ़ें  और  उनके  जीिन  स  े  को  भारत  को  खब्खटश  औपखनिखशक
               े
        खनरंतर प्ररणा लें।                शासन से मुकत करने के खलए उनकी
                   – प्रधानमंत्री नरेनद्र मोिी   साहखसक  रणनीखतयों  और  अखडग  िृढ़
               (‘मन की बात’ समबोधन में )  संकलप के खलए जाना जाता है। उनके
                                          प्रयास बहुआयामी थे और उनकी पहल
                                          पारमपररक राजनीखतक सखरियता से परे
                                          थी, खजसने सितंत्रता की लड़ाई के खलए
                                          महत्िपूण्ष  तरीके  से  रणनीखत  अपनाई।
                                          बच्ों के खलए सकूल तथा गरीब खशशुओं
                                          के खलए िूध की वयिसथा और सिचछता
                                          से समबंखधत उनके प्रयास सितंत्रता के
                                          संघष्ष के िौरान उनके िूरिशजी नेतृति के
                                          उललेिनीय उिाहरण हैं।
                                              आज़ाि  खहनि  रेखडयो  :  रिांखत  की
                                          आिाज़
                                              सुभाष चंद्र बोस के सबसे अखभनि
                                          योगिानों में से एक, 1942 में ‘आज़ाि खहनि
                                          रेखडयो’ की सथापना थी। िे इस िौरान
                                          िखक्षण-पूि्ष  एखशया  में  भारतीय  राषट्रीय
                                          सेना (आईएनए) का नेतृति कर रहे थे।
                                          यह रेखडयो सटेशन राषट्रिािी खिचारों को



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