Page 67 - MANN KI BAAT (Hindi)
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“अतीत  रें,  लक्द्ीप  रें  बिुत  सीहरत
                                                                    े
                                             सुह्विाएँ थीं। कोई ऑपरेिन हथ््र निीं
                                             था। सज्मरी और अन् उपचार पेट्रोल लैमप
                                             की रोिनी रें हकए जाते थे। रुझे डरॉक्रों
                                             के साथ कार करने और ऐसे ऑपरेिनों रें
                                             सहरि् रूप से भाग लेने का अ्वसर हरला।
                                             चािे कोई भी उपचार ्ा हचहकतसा आपात
                                             शसथहत िो, िरें जागने और कार करने के
                                             हलए तै्ार रिना चाहिए, भले िी ्वि आिी
                                             रात िो।”



                                                 -दहन्डुमबी के., नस्व, मूल दनवासी -
                                                     कवरत्ती विीप, लक्षविीप





          “्ि रेरी कलपना से परे िै हक िरारे देि
                 ं
          के प्िानरत्री ने िरारे नार का उललेख
          करके अपनी हदलचसपी व्कत की और
          िरारे प््ासों की सरािना की। ्ि सभी
          के हलए एक संदेि िै हक प्िानरत्री कैसे
                                ं
          सराज के ्वहचत और िाहिए पर पड़े
                   ं
          ्वगयों की गरररा को रित््व देते िैं।”













          -िीपक नाबाम, अध्क्ष, िीपक नाबाम दलदवांग
                 होम, अरुणाचल प्िबेश







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