Page 57 - MANN KI BAAT (Hindi)
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मा
                                        ं
                                                  े
                        स्ाट-अप इहडया क 9 िर               मा
                छोट ििरों का सिक्ीकरण और सािशसक मंसूबे
                    े



                                               यखि आज की बात करें तो हमारे
                                            चारों ओर एक ऐसी पीढ़ी मौजूि है, जो
                                            खसफ्क  गोता  ही  नहीं  लगाती,  बकलक  िह
                                            तैरते  समय  पूल  बना  रही  है।  सटाट्ट-
                                            अप इंखडया की 9िीं िष्षगाँठ खसफ्क एक
                                            मील का पतथर नहीं है, यह इस बात का
                                            प्रमाण है खक हमने एक लमबी िूरी तय
                                            की है। अब हम केिल पकशचमी िेशों की
                   खनखिल कामथ               अिधारणाओं को अपनाने िाले िेश नहीं
                 खनिेशक और उद्यमी           रह  गए  हैं।  युिा  भारत  आगे  बढ़  रहा
                                            है,  पूरी  खिखशषटताओं  के  साथ  िेश  की
                                            समसयाओं का समाधान खकया जा रहा
                                            है और ऐसे समाधान बना रहा है, खजनसे
                                             ु
                                            िखनया सीि सकती है।
                                               हम ड्लयूटीफंड (WTFund) के डेटा
                                            पर  गौर करते हैं। इसे अपने पहले  िो
                                            समूहों  में  लगभग  4,000  आििन  प्रापत
                                                                  े
                                            हुए थे। औसतन आििकों की उम् 22.5
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              आइए,  भारत  में  उद्यखमता  की   िष्ष पाई गई। कुछ की आयु 16 िष्ष है।
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          कसथखत  का  अिलोकन  करें।  एक  नई   ये बच् केिल बैंगलुरु, मुमबई या खिलली
          गाथा हमारे सामने है। इतना ही नहीं, यह   में  ही  नहीं,  बकलक  अमबाला,  खहसार,
          गाथा  उस  कहानी  से  खबलकुल  अलग   कांगड़ा  और  खबलासपुर  जैसे  शहरों  में
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          है, खजसे ििते-सुनते हम बड़े हुए हैं। 80   भी कमपखनयाँ शुरू कर रहे हैं। लगभग
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          और 90 के िशक में जोखिम उठाने का   35 प्रखतशत आििन खटयर 2 और खटयर
          मतलब  था  रोजगार  की  सुरक्षा  िाली   3  शहरों  से  आए  हैं।  यह  अब  केिल
          सरकारी नौकरी पाना या इंजीखनयररंग   महानगरों तक सीखमत नहीं है, बकलक यह
          और खचखकतसा  जैसे  कररयर  का  चयन   एक राषट्रवयापी आंिोलन है।
          करना।  आगे  बढ़कर  कुछ  भी  करना      अब हम समाज के उस खहससे की
          खबना  लाइफ  जैकेट  के  गहरे  पानी  में   बात करते हैं, जो सचमुच उललेिनीय है।
          गोता लगाने जैसा प्रतीत होता था।   छोटे शहरों में इन सटाट्टअप में से आधे


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