Page 66 - MANN KI BAAT (Hindi)
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करुणा की प्रवतध्वनन


                        े
        बदलते भारत क अनसुने नायकों की
        सरािना




                                             “रेरे प्ारे देि्वाहस्ो, नेक नी्त से
                                             हनस्वाथ्म भा्वना के साथ हकए गए कारों
                                             की चचा्म दूर-सुदूर पिुँच िी जाती िै,
                                             और  िरारा  ‘रन  की  बात’  तो  इसका
                                             बिुत  बड़ा  पले्िरॉर्म  िै।  िरारे  इतने
                                             ह्विाल देि रें दूर-दराज रें भी अगर
                                             कोई  अचछा  कार  कर  रिा  िोता  िै,
                                             कत्मव् भा्वना को स्ववोपरर रखता िै, तो
                                             उसके प््ासों को सारने लाने का ्े
                                             बेितरीन रंच िै।”
                                                           बे
                                                - प्धानमांत्री नरन्द्र मोिी (‘मन की
                                                           बात’ समबोधन में)

                   ं
        राननी् प्िानरत्री ने ‘रन की बात’ रंच के रित््व पर प्काि डाला, जिाँ देि के आर लोगों
        के हनस्वाथ्म का्यों के हलए आभार व्कत हक्ा जाता िै और उनकी सरािना की जाती िै जो
        पूरी लगन से रान्वता की से्वा कर रिे िैं। इनरें िाहरल िैं- अरुणाचल प्देि के दीपक नाबार,
                   ं
        जो बेघर और ्वहचतों के हलए हलह्वंग िोर चलाते िैं; लक्द्ीप की रूल हन्वासी नस्म हिंडुमबी के.,
        जो अपनी से्वाहन्वहत् के बाद भी जरूरतरंद लोगों की से्वा कर रिी िैं और हरहनकरॉ् द्ीप के
                     ृ
        के.जी. रोिमरद, जो प्ककृहत तथा संसकहत के संरक्ण के हलए लगातार कार कर रिे िैं।
                                  कृ



        “रुझे  अपने  सभी  कारों  रें  MDS  (रहलकू
        डे्वलपर् सोसाइ्ी) के साहथ्ों, गाँ्व ्वालों और
              ें
        पारमपररक  रछुआरों  से  पूरा  सि्ोग  हरला  िै।
                          ं
        रैं अपने राननी् प्िानरत्री जी को उनके ‘रन
        की बात’ का््मरिर रें रेरी प्िंसा करने के हलए
        िन््वाद देना चािता िूँ।”

           -के.जी. मोहममि, प्ा्ववरणदवि ्, दमदनकॉ् विीप, लक्षविीप

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