Page 38 - MANN KI BAAT (Hindi)
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नहदयों से जुड़ता अध्ात्म और लोग











           उत्तर  से  िखक्षण  तक  मानयताओं    ‘इंद्र ने जब राक्षस का िध खकया तो
           को  मानने  के  तरीके  एक  जैसे  ही   उनहोंने सूय्ष को ढकने िाले बािल को
        हैं।  एक  तरफ  प्रयागराज,  उज्न,
                                   ै
        नाखसक  और  हररद्ार  में  कुमभ  का   हटा खिया, जो पानी का स्ोत है। मुकत
        आयोजन होता है, िैसे ही िखक्षण भू-भाग   नखियाँ  धरती  पर  ऐसे  िौड़ीं  जैसे  गौ-
        में गोिािरी, ककृषणा, नम्षिा और कािेरी   माता अपने बच्ों को िूध खपलाने के खलए
        निी के तटों पर पुषकरम होते हैं। ये िोनों   उतसुक होती है।’– ऋगिेि 1.61.10
        ही पि्ष हमारी पखित्र नखियों से, उनकी
        मानयताओं से जुड़े हुए हैं।             भारत  िह  भूखम  है  जहाँ  प्रककृखत
                                          और  अधयातम  एक-िूसरे  से  सहज
                   – प्रधानमंत्री नरेनद्र मोिी
               (‘मन की बात’ समबोधन में )  जुड़े हुए हैं और इस समबंध में नखियाँ
                                          पखित्रता का प्रतीक हैं। ये जल खनकाय
                                          न केिल जीिन और जीखिका के स्ोत
                                          हैं,  बकलक  िेश  के  धाखम्षक,  सांसकखतक
                                                                    कृ
                                          और सामाखजक ताने-बाने में भी गहराई
                                          से अंतखन्षखहत हैं। पखित्र गंगा से लेकर
                                          खिशाल ब्ह्मपुत्र तक, भारत में नखियाँ
                                          ििीय संसथाओं, तीथ्ष सथलों और मानि
                                           ै
                                          सभयता के केंद्र के रूप में काय्ष करती

                                          हैं।  पूरे  इखतहास  में  महान  सभयताएँ
                                          खिशाल  नखियों  के  खकनारे  फली-फूलीं,
                                          खजनहोंने ककृखष के खलए प्रचुर मात्रा में पानी
                                          उपल्ध कराया। इस सहजीिी समबंध
                                                                कृ
                                          ने नखियों के प्रखत श्द्धा और कतज्ाता के
                                               कृ
                                          सांसकखतक लोकाचार को मज़बूत खकया,
                                          उनहें पोषण करने िाली माँ के रूप में
                                          माना। मेसोपोटाखमया के लोग खटगररस
                                          निी,  खमस्  के  लोग  नील  तथा  फरात


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