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                          नवदेश में भारतीय संसकनत



                                   प्रजत्ाएँ, कहाजन्ाँ और ्साझमी धरोहर




























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            भारतमीय ्संसकृजत, परे जवशव ्ें ्सहेजमी और ्सम्ाजनत कमी जातमी है। यरोप के छोटे
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        कसबों ्से लेकर उत्तर अ्रमीका के वयसत शहरों तक भारतमीय ्सभयता कमी छाप ्बनदरों,
        ्सा्ुदाजयक केंद्रों, कला प्रदश्मजनयों, यहाँ तक जक अनय ्संसकृजतयों के उन लोगों के जदलों ्ें

        भमी जदखाई देतमी है जजनहोंने भारत कमी शाशवत ज्ञान-परमपरा अपनाई है। इ्सकमी उपबसथजत
        केवल अनुषठानों या तयौहारों तक ्समीज्त नहीं है; यह शाबनत, ्सद ्भाव और करुणा जै्से

        ्मूलयों ्ें जमीजवत है जो ्ानवता को ज्ला भारत का अनुप् उपहार है।
            हाल हमी ्ें, भारतमीय ्सांसकृजतक ्समबनध पररषद (ICCR) के ‘रा्ायण के ्ाधय्

        ्से जवशव को जोड़ना’ काय्मक्र् के अंतग्मत, इटलमी के छोटे ्से नगर कैमप-रोतोंदो ्ें ्हजष्म
        वाल्मीजक कमी प्रजत्ा का अनावरण हुआ जो ्समी्ाओं ्से परे भारतमीय धरोहर के प्रजत

        बढ़ता ्सम्ान दशा्मता है। वहाँ रहने वाले भारतमीय ्स्ुदाय के जलए यह प्रजत्ा केवल एक

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        प्रजत्ा नहीं अजपतु अपनतव और ्सांसकृजतक गव्म का प्रतमीक है। रा्ायण के पजय लेखक
        ्हजष्म वाल्मीजक आज भमी लोगों को पमीढ़मी दर पमीढ़मी, अपने ध््म, दृढ़ता और भबकत के


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