Page 61 - Mann Ki Baat - Hindi
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                         आयववेद बन सकता ह आधामनक
                                                  ै
                                                        ु
                               चचीिकत्ा का पर्क
                                                ू




                                            योग  के  साथ  आयुवदेदो  इस  लक्षय  को
                                            हाफसल  करने  में  अहम  भूफमका  फनभा
                                            सकता है यह स्वस्थ आहार और पोर्ण
                                            फदोनचया्ष और मौसमी प्णाली (ऋतुचया्ष)
                                            के  अनुसार  उफचत  व्यब्क्तगत  आचरण
                                            (फवहार) तथा बाहरी और आंतररक शुफद्
                                            से जुड़े उपायों (पंचकम्ष) के काया्षन्वयन
                                            पर जोर दोेता है।
                   मनोरंजन साहू                आयुवदेदो  एक  प्कृफत-समथ्षक
          पूव्ष डीन, आयुवदेदो संकाय, आईएमएस,   फचफकत्सा  प्णाली  है।  यह  फचफकत्सा
              वाराणसी और पूव्ष फनदोेशक,     प्णाली  रोग-कफद्रत  होने  के  बजाय
                                                        ें
                एआईआईए, नई फदोल्ली          उपचार के समग्र, व्यब्क्तगत दोब्ष्टटकोण
                                                                   ृ
                                            पर  जोर  दोेती  है।  आयुवदेदो  वर्षों  के
                                            अवलोकन  के  बादो  एकत्  की  गई
                                            अनुकूल  अनुभवात्मक  फशक्ाओं  से
                                                              ु
                                            प्ाप्त  हुआ  है।  यह  आ्धफनक  फचफकत्सा
              लोगों  के  सामाफजक-आफथ्षक,    प्णाली  से  अलग  है,  जो  अनुसं्धान-
          सांस्कृफतक और भौगोफलक गफतशीलता    आ्धाररत साक्षय की कठोरता पर फनभ्षर
                                                        ु
          के फवकास के साथ भारत में स्वास््थ्य सेवा   है। हालाँफक आ्धफनक फचफकत्सा प्णाली
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          की वत्षमान जरूरतें ्धीरे-्धीरे संक्रामक   और आ्धफनक वैज्ााफनक उपकरणों एवं
          बीमाररयों  से  हटकर  म्धुमेह,  कैंसर,   तकनीकों  का  एकीकरण  इस  युग  में
          हृदोय  सम्बं्धी  बीमाररयों,  उम्र  से  जुड़ी   आयुवदेदो के फसद्ांतों और प्णाफलयों की
          समस्याओं  आफदो  जैसी  गैर-संक्रामक   स्वीकाय्षता और प्योज्यता में सु्धार कर
          और जीवनशैली से जुड़ी बीमाररयों की   सकता है।
          ओर बढ़ रही हैं। स्वास््थ्य सेवा का भफवष्टय   ऐसे कई सिल उदोाहरण हैं, जहाँ
          स्वास््थ्य  के  फनवारक  और  सम्व्ध्षक   आयुवदेदो  का  समकालीन  फचफकत्सा
          पहलुओं  पर  अफ्धक  कफद्रत  होगा  और   फवज्ाान के साथ एकीकरण अफ्धक प्भावी
                            ें

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