Page 12 - Mann Ki Baat - Hindi
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दोेश में लगभग बीस ह़जार भार्ाएँ और
बोफलयाँ हैं और ये सब की सब फकसी-
न-फकसी की तो मातृ-भार्ा हैं ही हैं। कु्छ
भार्ाएँ ऐसी हैं, फजनका उपयोग करने
वालों की संख्या बहुत कम है, लेफकन
आपको यह जानकर खुशी होगी फक
उन भार्ाओं को संरफक्त करने के फलए
आज अनोखे प्यास हो रहे हैं। ऐसी ही
एक भार्ा है हमारी ‘संथाली’ भार्ा।
‘संथाली’ को digital Innovation की
मदोदो से नई पहचान दोेने का अफभयान
शुरू फकया गया है। ‘संथाली’ हमारे
दोेश के कई राज्यों में रह रहे संथाल
जनजातीय समुदोाय के लोग बोलते
हैं। भारत के अलावा बाँग्लादोेश, नेपाल
और भूटान में भी संथाली बोलने वाले
आफदोवासी समुदोाय मौजूदो हैं। संथाली
भार्ा की online पहचान तैयार करने
के फलए ओफडशा के मयूरभंज में रहने
वाले श्ीमान रामजीत टुडु एक अफभयान
चला रहे हैं। रामजीत जी ने एक ऐसा
Digital Platform तैयार फकया है, जहाँ
संथाली भार्ा से जुड़े साफहत्य को पढ़ा जा
सकता है और संथाली भार्ा में फलखा जा
सकता है। दोरअसल कु्छ साल पहले
जब रामजीत जी ने मोबाइल िोन का
इस्तेमाल शुरू फकया तो वो इस बात
से दोुखी हुए फक वो अपनी मातृभार्ा में
सन्दोेश नहीं दोे सकते ! इसके बादो वो
‘संथाली भार्ा’ की फलफप ‘ओल फचकी’
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संथाली भार्ा की फलफप