Page 14 - Mann Ki Baat - Hindi
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इस अफभयान में जोर-शोर से फहस्सा ल  े  और््धीय वनस्पफतयों, Medical Herbs
        रहें हैं।                         के प्फत उन्हें गहरा लगाव है। उनका ये
            साफथयो,  हमारे  दोेश  में  पेड़   लगाव 80 के दोशक में तब शुरू हुआ, जब

        लगाने  के  अफभयान  से  जुड़े  फकतने  ही   एक बार उनके फपता को जहरीले साँप
        उदोाहरण सामने आते रहते हैं। ऐसा ही   ने  काट  फलया।  तब  पारम्पररक  जड़ी-
        एक  उदोाहरण  है  तेलंगाना  के  के.एन.  बूफटयों ने उनके फपता की सेहत सु्धारने
        राजशेखर जी का। पेड़ लगाने के फलए   में  कािी  मदोदो  की  थी।  इस  घटना  के

        उनकी प्फतबद्ता हम सब को हैरान कर   बादो उन्होंने पारम्पररक और्फ्धयों और
        दोेती है। करीब चार साल पहले उन्होंने   जड़ी-बूफटयों  की  खोज  शुरू  की।  आज
        पेड़ लगाने की मुफहम शुरू की। उन्होंने   मदोुरई  के  वेररफचयुर  गाँव  में  उनका
        तय फकया फक हर रोज एक पेड़ जरूर     अनोखा  Herbal  Garden  है,  फजसमें,
                                                      ु
        लगाएँगे। उन्होंने इस मुफहम का कठोर   500  से  ़ज्यादोा  दोल्षभ  और््धीय  पौ्धे  हैं।
        व्रत की तरह पालन फकया। वो 1500 से   अपने  इस  बगीचे  को  तैयार  करने  के

        ़ज्यादोा पौ्धे लगा चुके हैं। सबसे बड़ी बात   फलए उन्होंने कड़ी मेहनत की है। एक-
        ये है फक इस साल एक हादोसे का फशकार   एक  पौ्धे  को  खोजने  के  फलए  उन्होंने
        होने के बादो भी वे अपने संकल्प से फडगे   दोूर-दोूर  तक  यात्ाएँ  कीं,  जानकाररयाँ
        नहीं। मैं ऐसे सभी प्यासों की हृदोय से   जुटाईं  और  कई  बार  दोूसरे  लोगों  से

        सराहना करता हूँ। मेरा आपसे भी आग्रह   मदोदो भी माँगी। कोफवड के समय उन्होंने
        है फक ‘एक पेड़ माँ के नाम’ इस पफवत्   Immunity  बढ़ाने  वाली  जड़ी-बूफटयाँ
        अफभयान से आप जरूर जुफड़ए।          लोगों तक पहुँचाई। आज उनके Herbal
                                          Garden को दोेखने के फलए लोग दोूर-दोूर
            मेरे  प्यारे  साफथयो,  आपने  दोेखा   से आते हैं। वो सभी को Herbal पौ्धों की
        होगा,  हमारे  आस-पास  कु्छ  लोग  ऐसे   जानकारी और उनके उपयोग के बारे में

        होते  हैं,  जो  आपदोा  में  ्धय्ष  नहीं  खोते,   बताती हैं। सुबाश्ी हमारी उस पारम्पररक
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        बब्ल्क  उससे  सीखते  हैं।  ऐसी  ही  एक   फवरासत को आगे बढ़ा रही हैं, जो सैकड़ों
        मफहला हैं सुबाश्ी, फजन्होंने अपने प्यास   वर्षों  से  हमारी  संस्कृफत  का  फहस्सा  है।
        से दोल्षभ और बहुत उपयोगी जड़ी-बूफटयों   उनका Herbal Garden हमारे अतीत
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        का एक अदो ्भुत बगीचा तैयार फकया है।   को भफवष्टय से जोड़ता है। उन्हें हमारी ढेर
        वो तफमलनाडु के मदोुरई की रहने वाली   सारी शुभकामनाएँ।
        हैं। वैसे तो पेशे से वो एक टीचर हैं, लेफकन   साफथयो,  बदोलते  हुए  इस  समय


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