Page 30 - Mann Ki Baat - Hindi
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समृद्ध संस्ति की  क्वरासि को क्वश्व संरक्ि
                          ृ



                                          के  अनेक  देवी-देवताओं  के  टलए  कई
                                          पिरा  सथल  भी  ्बनवाए।  उनकी  मृतय  ु
                                           ू
                                          पिर  उनके  शरीर  को  चराईदेउ  में  एक
                                                                  ृ
                                          अटद्तीय टमट्ी के टीले वाले शवगि यानी
                                          मैदाम में टमट्ी के अंदर द्बा टदया गया
                                          था।  त्ब  से  39  अिोम  राराओं,  उनकी
                                          राटनयों और रारघराने के अनय सदसयों
                                          में से अटधकांश को चराईदेउ में मैदाम
                                          प्रदान  टकया  गया।  इसके  फलसवरूपि
              डॉ. समुद्र गुपता कशयपि      यि अिोमों का स्बसे पिटवरि सथान ्बन

            कुलाटधपिटत, नागालैंड टवशवटवद्ालय  गया। कुछ राराओं और अनय रईसों के
                                                                       ैं
                                          कुछ मैदाम अनय सथानों पिर भी मौरूद ि,
                                              ु
                                                                      ू
            अिोम, असटमया समुदाय का एक     टकनत चराईदेउ में शािी मैदामों का समि
                                    ू
              ू
        मित्वपिण्थ  टिससा  िै।  अिोम,  दटक्ण-पिव्थ   िै, टरसे िाल िी में यूनेसको द्ारा टवशव
        एटशया में वयापिक रूपि से फैली मिान ताई   टवरासत सथल के रूपि में मानयता दी गई
                                           ै
        राटत की एक शािा िै। उनके समकक्     ि।
        थाईलैंड के थाई लोग, लाओस के लाओ,      अिोम ने 600 वषषों तक शासन टकया।
           ं
        ्यामार में शान, टवयतनाम में ताई-थाई   उसके ्बाद 1817 में ्बमनी ने देश पिर कबरा
        और चीन में दाई शाटमल ि। ैं        कर टलया। ्बाद में 1826 में अंग्ेज़ों ने इस
            टसउ-का-फा  नामक  एक  ताई      पिर कबरा कर टलया।
        रारकुमार 1228 ई. में यन्नान के मोंग-  अिोमों ने असमी पििचान, भाषा और
                           ु
                                              कृ
        माओ  से  ब्रह्पिरि  घाटी  में  आया।  अ्ब   संसकटत  को  आकार  देने  में  अतयटधक
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                                                    ू
                                               ू
        यि दटक्णी चीन का टिससा िै। उसने एक   मित्वपिण्थ  भटमका  टनभाई।  उनिोंन  े
        राजय की सथापिना की, टरसके वंश को   सथानीय  भाषा  को  अपिनाया,  सथानीय
        ‘अिोम’ रारवंश के रूपि में राना राता   समुदायों  के  साथ  घुल-टमल  गए  और
        िै। किा राता िै टक ‘अिोम’ शबद रिम   उनसे टववाि टकया तथा कई राजयों और
        से  टलया  गया  िै।  ऊपिरी  ्बमा्थ  में  ताई   समुदायों  को  एक  छरि  के  नीचे  लाए।
        लोगों को यिी किा राता था, र्बटक मूल   उनिोंने असम में एक सांड/भैंसे के िल स  े
                 ें
        टनवासी उनि ‘असम’ के रूपि में संदटभ्थत   पिानी की अटधकता वाले क्ेरि में चावल की
        करने लगे। यिी कारण िै टक क्ेरि को भी   िेती भी शुरू की। इस प्रकार अिोम शबद,
        ‘असम’ के रूपि में राना राने लगा।  भाव,  टवचार,  रीटत-ररवाज़  और  तयौिार
                                                                  ु
            टसउ-का-फा  ने  टरस  शिर  को   असटमया रीवन में आसानी से पििँच गए।
        रारधानी ्बनाया, उसका नाम चराईदेउ      अिोम  राराओं  ने  कला  और
                                              कृ
        रिा। इसका अथ्थ िै पििाटड़यों पिर मसथत   संसकटत को ्बढ़ावा टदया। उनिोंने धाटम्थक
                                               ै
        चमकदार शिर। विाँ उनिोंने ताई-अिोम   और शक्टणक संसथानों को संरक्ण प्रदान
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