Page 26 - Mann Ki Baat - Hindi
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चराईदउ मैदाम
अहोम राजवंश िा गौरवमय इततहास
असम के चराईदेउ मैदाम को यूनेसको के विशि विरासत स्थलों में शावमल वकया जा रहा
है। इस वलस्ट में यह भारत की 43िीं, लेवकन नॉ्थ्थ-ईस्ट की पहली साइ्ट होगी। अहोम
राजिंश के लोग अपने पूि्थजों के शि और उनकी कीमती चीज़ों को पारमपररक रूप से
मैदाम में रखते ्थे।
(‘मन की बात’ समबोधन में)
असम के हरे-भरे पररदृशयों के बीच बसा एक अनूठा शहर चराईदेउ इवतहास,
कृ
संसकवत और स्थापतय कला के चमतकारों का भंडार है। यहीं पर भारत के सबसे स्थायी
और प्रभािशाली साम्ाजयों में से एक अहोम राजिंश की गा्था मावम्थक आखयान के सा्थ
सामने आती है। इस ऐवतहावसक ताने-बाने का केंद्र चराईदेउ मैदाम में है, जो अहोम
राजाओं और रावनयों की भवयता और विरासत का प्रमाण है।
अहोम समुदाय के शासन में छह शताब्दयों से अवधक समय तक साम्ाजयों का
कृ
उत्थान और पतन, विविध संसकवतयों का वमलन और एक अववितीय सामावजक-राजनीवतक
पररदृशय का विकास हुआ। उनकी पहली राजधानी– चराईदेउ सत्ा के पररित्थन के बाद
भी एक पवित्र और प्रतीकातमक केंद्र बना रहा।
मैदाम, अहोम राजघराने के शिगृह ही नहीं, समारक और गौरि हैं। सािधानीपूि्थक
बनाए गए ये शिगृह अहोम कारीगरों के कौशल और कलातमकता का प्रमाण हैं। मैदाम का
वनमा्थण एक जव्टल अनुषठान होता ्था। इसमें विसतृत समारोह और पूरे राजय की भागीदारी
कृ
शावमल ्थी। अहोम के अंवतम संसकारों से जुड़े रीवत-ररिाज़ उनकी अनूठी सांसकवतक
पहचान को दशा्थते हैं।
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