Page 35 - Mann Ki Baat - Hindi
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दृश्य कला रूपों का प्दर्शन
इस सौंदययीकरि िररयोरना के पलए
मूपत्थयों, पभपति पचत्ों और प्रपतष्ठानों
सपहत िार्िररक कला रूिों को तैयार
पकया गया है। कलाककृपतयों में फड
ु
िपटंग, रंगका, लरपचत्, गोंड कला,
ें
तंरौर, कलमकारी और अलिोना रैसी
शैपलयाँ शापमल हैं। प्रसतापवत मूपत्थयाँ
पवपवध पवषयों को दशा्थती हैं, रैसे पक
प्रककृपत को श्रद्ांरपल, नाट्यशासत्,
गाँधीरी, भारतीय पखलौने, आपतथय,
प्राचीन ज्ान, नाद (आपदम धवपन),
रीवन की समरसता और पदवय वृक्ष
कलितरु आपद।
े
प्रोरेकट िरी का उद्शय पदलली को
भारत की समृद् कलातमक पवरासत
और समकालीन अपभवयमकत से सराबोर
कृ
करना है। यह सांसकपतक िुनरा्थगरि
भारत की पवपवध िर्िराओं और
साव्थरपनक सरानों के सार उनके
िारसिररक प्रभाव को प्रदपश्थत करता है।
यह िहल नागररकों को शापमल करके
कृ
तरा साझा सांसकपतक िहचान को
बढावा देकर शहरी िररदृशय को समृद्
करने के सार अिनी पवरासत से हमारे
लगाव को बढाती है।
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