Page 23 - Mann Ki Baat - Hindi
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“मेरा  मानना    है  पक  गपित  ओलम्ियाड  को  और  अपधक
          मान्यता पमलना महत्विि्थ है, कयोंपक गपित अकसर लोगों को
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          डराता है। हाल ही में 'मन की बात' एपिसोड में प्रधानमंत्ी
          के  सार  बात  क र ना   अपवशवसनीय  रूि  से  एक  पवनम्र
          अनुभव रहा। यह कुछ ऐसा लगा परसकी मैं कुछ साल िहले
          कलिना भी नहीं कर सकता रा। इन ओलम्ियाड के बारे
          में रागरूकता बढाने और गपित में अपधक रुपच रगाने से
          अपधक लोग इस पवषय को आगे बढाएँगे। मैं इस अवसर के
          पलए बहुत आभारी हूँ। मैं उ्मीद करता हूँ पक यह भपवष्य में
          और अपधक लोगों को गपित से रडने के पलए प्रेररत करेगा।”
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                                         —रुशील मारुर, मु्बई


          “मेरी तैयारी के दौरान मेरे माता-पिता ने मेरा भरिूर सार पदया।
          प्रधानमंत्ी की बदौलत रागरूकता बढने से, भारत को वैमशवक सतर
          िर बेहतर प्रदश्थन करने में मदद पमल रही है। इसके िररिामसवरूि
          भपवष्य में और अपधक स्मान प्रापत करने में भी मदद पमलेगी। मेरा
          मानना   है पक रो कोई भी ‘मन की बात’ के इस संसकरि को
          देखेगा, वह गपित को आगे बढाने के पलए प्रेररत महसूस करेगा।
          रब लोग देखेंगे पक हर कौशल को प्रोतसापहत पकया रा रहा है, तो
          इससे उतसाह बढ़ेगा और देश के युवाओं को बहुत प्रेरिा पमलेगी।”
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                                    —अरन गुपता, नई पदलली

          “हमें रो मान-स्मान पमला, उससे हम वासतव में गौरवामन्वत
          महसूस कर रहे हैं। हमारे गुरु भी उतने ही रोमांपचत हैं। हम
          प्रधानमंत्ी नरेन्द्र मोदी के प्रोतसाहन के पलए पवशेष रूि से आभारी
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          हैं। X (िव्थ में म्वटर) िर उनकी शुभकामनाओं ने हमें महत्विि्थ
          िहचान पदलाई, इससे हमें और अपधक प्रसन्नता हुई।”
                                     —आनंदो भादुरी, गुवाहाटी


          “मुझे बचिन से ही गपित का शौक रहा है। मेरे पिता मुझे िहपलया  ँ
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          सुनात रे। इससे मेरी रुपच और गहरी हुई। मैंने 7वीं कक्षा में
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          ओलम्ियाड की तैयारी शुरू कर दी री। पिछले साल मैं टीम
          में रगह बनाने से चूक गया रा, लपकन मेरे माता-पिता ने मुझ  े
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          पसखाया पक यह पसर्फ़ रीतने के बारे में नहीं है, बमलक सीखने और
          यात्ा को महत्व देने के बारे में भी है। या तो हम रीतते हैं, या हम
          सीखते हैं। इसपलए, मेरी सलाह यही होगी पक आि रो करते हैं,
          उससे पयार करें और रो आिको िसंद है, उसे करें।”
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                                 —कनव तलवार, ग्टर नोएडा
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