Page 12 - Mann Ki Baat - Hindi
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टलए उभरते कलाकारों को एक मंच पिर रड़ों पिर गव्थ करने की सिद अनुभटत
लाने का ्बड़ा माधयम ्बन रिा िै। आपि देगा।
दिते िोंगे.. सड़कों के टकनारे, दीवारों
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पिर, अंडरपिास में ्बिुत िी संदर पिेंटटंगस मेरे पयारे देशवाटसयो, ‘मन की
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्बनी िुई टदिती िैं। ये पिेंटटंगस और य े ्बात’ में, अ्ब ्बात ‘रंगों की’, ऐसे रंगों
कलाककृटतयाँ यिी कलाकार ्बनाते िैं, की, टरनिोंने िररयाणा के रोितक टज़ल े
रो PARI से रुड़े िैं। इससे रिाँ िमार े की ढाई-सौ से ़जयादा मटिलाओं के
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साव्थरटनक सथानों की संदरता ्बढ़ती रीवन में समटद् के रंग भर टदए िैं।
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िै, विीं िमारे कलचर को और ़जयादा िथकरघा उद्ोग से रुड़ी ये मटिलाए ँ
पिोपिुलर ्बनाने में भी मदद टमलती िै। पििले छोटी-छोटी दुकानें और छोटे-मोटे
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उदािरण के टलए, टदलली के भारत काम कर गज़ारा करती थीं, लटकन िर
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मंडपिम को िी लीटरए। यिाँ देश भर के टकसी में आगे ्बढ़ने की इचछा तो िोती िी
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अद भुत आट्ड वकस्थ आपिको दिने को िोती िै। इसटलए इनिोंने ‘उन्नटत सेलफ
टमल राएँगे। टदलली में कुछ अंडरपिास िेलपि ग्ुपि’ से रुड़ने का फैसला टकया
और ्फलाईओवर पिर भी आपि ऐस े और इस ग्ुपि से रुड़कर उनिोंने बलॉक
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ि्बसूरत पिमबलक आट्ड दि सकते िैं। पिेंटटंग और रंगाई में ट्ेटनंग िाटसल की।
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मैं कला और संसककृटत प्रेटमयों से आग्ि कपिड़ों पिर रंगों का रादू ट्बिेरने वाली
करूँगा टक वे भी पिमबलक ये मटिलाएँ आर लािों रुपिए कमा रिी
आट्ड पिर और काम िैं। इनके ्बनाए ्बेड कवर, साटड़याँ और
करें। ये िमें अपिनी दपिट्ों की ्बारार में भारी माँग िै।
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साटथयो, रोितक की इन मटिलाओं
की तरि देश के अलग-अलग टिससों में
ैं
कारीगर, िडलूम को लोकटप्रय ्बनान े
में रुटी ि। चािे ओटडशा की ‘स््बलपिुरी
ैं
साड़ी’ िो, चािे MP की ‘मािेशवरी साड़ी’
िो, मिाराषट् की ‘पिै्ठणी’ या टवदभ्थ के
‘िड बलॉक टप्रटस’ िों, चािे टिमाचल के
ैं
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‘भटट्को’ के शॉल और ऊनी कपिड़े िों, या
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टफर, र्म-कशमीर के ‘कटन’ शॉल िों।
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देश के कोने-कोने में िडलूम कारीगरों
का काम छाया िुआ िै और आपि ये तो
रानते िी िोंगे, कुछ िी टदन ्बाद 7 अगसत
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