Page 14 - Mann Ki Baat - Hindi
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में मैंने अकसर आपिसे ड्रगस की चुनौती दटनयाभर में टाइगर डे मनाया राएगा।
की चचा्थ की िै। िर पिररवार की ये टचंता भारत में तो टाइगस्थ ‘्बाघ’, िमारी
िोती िै टक किीं उनका ्बच्ा ड्रगस की संसककृटत का अटभन्न टिससा रिा िै। िम
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चपिेट में ना आ राए। अ्ब ऐसे लोगों की स्ब ्बाघों से रुड़े टकसस-किाटनयाँ सुनत े
मदद के टलए सरकार ने एक टवशेष केंद्र िुए िी ्बड़े िुए िैं। रंगल के आस-पिास
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िोला िै, टरसका नाम ि– ‘मानस’। के गाँव में तो िर टकसी को पिता िोता
ड्रगस के टिलाफ़ लड़ाई में ये ्बिुत ्बड़ा िै टक ्बाघ के साथ तालमेल ट्ब्ठाकर
कदम िै। कुछ टदन पििले िी ‘मानस’ कैसे रिना िै। िमारे देश में ऐसे कई
की िेलपिलाइन और पिोट्डल को लॉनच गाँव िै, रिाँ इंसान और ्बाघ के ्बीच
टकया गया िै। सरकार ने एक टोल फ्ी कभी टकराव की मसथटत निीं आती,
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न््बर ‘1933’ रारी टकया िै। इस पिर लटकन रिाँ ऐसी मसथटत आती िै, विा ँ
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कॉल करके कोई भी ज़रूरी सलाि भी ्बाघों के संरक्ण के टलए अभूतपिव्थ
ले सकता िै या टफर ररिैट्बटलटेशन प्रयास िो रिे िैं। रन-भागीदारी का ऐसा
से रुड़ी रानकारी ले सकता िै। अगर िी एक प्रयास िै ‘कुलिाड़ी ्बंद पिंचायत’।
टकसी के पिास ड्रगस से रुड़ी कोई दूसरी रारसथान के रणथ्भौर से शुरू िुआ
रानकारी भी िै, तो वो इसी न््बर पिर ‘कुलिाड़ी ्बंद पिंचायत’ अटभयान ्बिुत
कॉल करके ‘नारकोटटकस कंट्ोल टदलचसपि िै। सथानीय समुदायों ने सवय ं
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बयरो’ के साथ साझा भी कर सकत े इस ्बात की शपिथ ली िै टक रंगल में
िैं। ‘मानस’ के साथ साझा की गई िर कुलिाड़ी के साथ निीं राएँगे और पिेड़
रानकारी गोपिनीय रिी राती िै। भारत निीं काटेंगे। इस एक फैसले से यिाँ के
को ‘ड्रगस फ्ी’ ्बनाने में रुटे सभी लोगों रंगल एक ्बार टफर से िरे-भरे िो रिे
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से, सभी पिररवारों से, सभी संसथाओं स े िैं और ्बाघों के टलए ्बितर वातावरण
मेरा आग्ि िै टक ‘MANAS’ िेलपिलाइन तैयार िो रिा िै।
का भरपिूर उपियोग करें। साटथयो, मिाराषट् का ताडो्बा -
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मेरे पयारे देशवाटसयो, कल अंधारी - टाइगर - ररज़व्थ ्बाघों के प्रमि
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