Page 44 - Mann Ki Baat Hindi
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1. सथानीय उतपाद

         उत्सवों में स्थानीयतथा की छथाप                  ़िरीद कर हम के्वल
                                                         अपनी जररत पूरी
                                                         नहीं करते; हम सटदयों
                                                         से चली आ रही कला
             स्वदशी उत्पादों को बढपावपा                  के ट्वटभन्न रपों जैस  े
                    े
                                                         हैंडलूम ्वसत्र, िेराकोिा
                                                         और हसतटशलप के
                                                         संरक्षण में भी हाथ
                                                         बिाते हैं।
                                                          ँ
                      ु
         भारत में होली, दगा्त ्ूजा, दशहरा, दी्वाली, ्ोंगल और ईद
         जिे स्वसभन्न तयोहार हमारी िांसककृसतक स्वराित के जी्वंत
           ै
          उदाहरण हैं सजनका हमारे सथानीय सशकल्यों और उनके
                      सशल् िे गहरा नाता है।






































           िरकार की ‘्वोकल फॉर लोकल’ ्हल लोगों को इि
           स्वदेशी ्ाररकसथसतकी तरि का िमथ्तन करने के सलए
                              ं
                        प्ोतिासहत करती है।
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