Page 19 - Mann Ki Baat - Hindi
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          के मत् को जागृत दकया तिा िेश भि      माध्पि मेला औि दत््ेणी कुमभ
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          में  सिकाि  द्ािा  प्दत  घंटे  नौ  अमृत   महोतस् जैसे भूले हुए क्त्ीय मेलों औि
          महोतस्  से  समबशनधत  काय्वक्मों  की   तयोहािों को पुनजनीद्त किके हमािे िेश
          प्भा्शाली प्सतुदत से लोगों के दिलों में   की पिमपिा, संसकृदत औि द्िासत का
          िेशभशकत की भा्ना को जागृत दकया    सममान किने का प्यास  दकया गया
          औि भाित की यात्ा का जश्न मनाया।   है।  किा  ्ािन,  द्खलौना  बनाने  औि
          इस अ्दध के िौिान दपछले 75 ्रथों में   कठपुतली जैसी लुपत होती कला द्धाओं
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          अपनी  समद्  पिमपिाओं,  संसकृदतयों   को ्ापस लाने का प्यास दकया गया;
          औि उपलशबधयों को स्ीकाि किते हुए   काशी-तदमल  संगमम्  औि  सौिा्ट्-
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          पिा िेश हमािे स्तत्ता सेनादनयों औि   तदमल  संगमम्  के  माधयम  से  िाजयों
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          िा्ट् दनमा्वताओं का सममान किने के   के बीि अंति-सांसकृदतक समबनधों को
          दलए एक साि आया।                   दिि से सिादपत किने औि उनहें याि
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              अमृत  महोतस्  ने  िदनया  के   ि्खने; भाित के पािमपरिक ्खेलों को
          सामने  भाित  की  सबसे  बड़ी  ताकत–   दिि  से  तलाशने  तिा  पया्व्िण  औि
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          इसके लोग, संसकृदत औि इदतहास की    जल सिक्ण के दलए िेश भि में 75,000
          शशकत  को  प्िदश्वत  दकया,  दजससे  यह   अमृत सिो्िों के दनमा्वण की शुरुआत
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          स्तत्ता के बाि भाित में सबसे बड़ा   जैसी पहल की गई। िेश ने जन भागीिािी
          जश्न मनाने का प्यास बन गया। इस    की भा्ना से प्रित कई जन आनिोलन
                                                       े
          यात्ा  में  न  के्ल  िाजयों,  करेंद्रशादसत   ि्खे, दजसमें kहि घि दतिंगाl, kआज़ािी
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          प्िेशों,  मंत्ालयों  औि  द्भागों  की   की िेल गाड़ी औि सटेशनl, kमिा गा्
                                                                        ँ
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          भागीिािी ि्खी गई है, बशलक पिे िेश न  े  मिी धिोहिl, kदडदजटल जयोतl, kिा्ट्
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          हमािे स्तत्ता सेनादनयों का सममान   गान  अदभयानl  औि  kयदनटी  इन
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          किने, भाित की सांसकृदतक द्द्धता   दक्एदटद्टीl  जैसे  अदभयान  शादमल
          औि  द्िासत  का  आननि  लेने  औि    िे। िंग-दबिंगे औि ऊजा्व्ान माहौल स  े
          आतमदनभ्वि भाित बनने की यात्ा को   सिाबोि भाित ने इस अमृत महोतस्
          िशा्वते  हुए  द्दभन्न  क्त्ों  में  भाित  की   से  प्ज्दलत  अ्खंड  लौ  को  अपनाया
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                                                            ं
          उपलशबधयों की सिाहना की है।        तादक हम  हमािे स्तत्ता सेनादनयों के












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