Page 21 - Mann Ki Baat - Hindi
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कत्त्ववयों को पूिा किने के दलए प्ोतसादहत
दकया है, बशलक इसके दलए माग्व भी
प्शसत दकया है, दजसे प्तीकातमक रूप
से ‘अमृत काल’ या ‘कत्त्ववय काल’
कहा जाता है। िा्ट् की महानता ‘मेिी
माटी मेिा िेश’ अदभयान में भाग लेकि
नागरिक इन ‘पंि प्ण’ को पूिा किने
की शपि ले िहे हैं औि अपने संकलप के
संकेत के रूप में नागरिक हमािे िेश की
पद्त् दमट्ी के साि शपि लेते हुए अपनी
सेलिी अपलोड कि िहे हैं।
भाित के समृद् भद््य का माग्व
िेश्ादसयों की अपने अतीत की धिोहि
को बनाए ि्खने औि सुिदक्त ि्खने की
ृ
प्दतबद्ता औि िढ़ संकलप से प्शसत
होता है। ‘आज़ािी का अमृत महोतस्’
के साि हम अपने बहािि स्तंत्ता
ु
सेनादनयों को श्रद्ांजदल अदप्वत किते हैं
टू
औि उनके बदलिान औि अटट समप्वण
का भी समिण किते हैं, जो हमािे िेश के
इदतहास में ििा-बसा हुआ है। दजस तिह
उनहोंने हमािी आज़ािी के दलए लड़ाई
लड़ी, उसी तिह यह हमािा कत्त्ववय है
दक हम अपनी पिमपिाओं को सँजोकि
औि अपनी सांसकृदतक द्िासत के साि
को संिदक्त किके उनकी द्िासत का
सममान किें। इतना ही नहीं, अगले 25
्रथों में अपनी आज़ािी के शताबिी ्र ्व
तक हम ्ाइब्ट भाित बनें।
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