Page 30 - MANN KI BAAT (Hindi)
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भारतीय संविधान में
कै लीग्ाफी कला
कृ
भारती् संह्विान रें हनहित कला देि की सरृद्ध साराहजक-सांसकहतक ह्वरासत का समरान
करती िै। िाथ से पें् हकए गए हचत्रण िांहतहनकेतन के कला भ्वन के हप्ंहसपल नंदलाल बोस
और उनकी ्ीर द्ारा बनाए गए थे।
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राष्ट्री् प्तीक एव
सत्मव ज्त का नारा
बे
बे
सांदवधान की शुरुआत राष्ट्री् प्तीक के
बे
दचत्रण और सत्मव ज्त (सत् की ही जीत
बे
रै
बे
होती ह) के नार स होती ह। राष्ट्री् गौरव का
रै
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्ह प्तीक सारनाि में अशोक के दसांह सतमभ पर
रै
आधाररत ह। अब ्ह वाराणसी के पास सारनाि
रै
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सग्रहाल् में रखा हुआ ह।
कलाकार : दीनानाथ भाग्म्व
मोहनजोिडो सील
सांदवधान का पहला भाग हडपपा सभ्ता के
एक लोकदप्् सील-माक्क ‘साड’ स शुरू होता
ां
बे
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ह। साड की सील उस सम् की वसतुओं में
रै
अकसर दिखाई िबेती ह।
रै
सील जसी वसतुएँ ऐदतहादसक अतीत
रै
के महत्व को प्मादणत करती हैं, व्ापार और
वादणज् की अवधारणा का समि्वन करती हैं
ां
तिा प्गदत और दवकास की भावना का सकेत
कृ
कलाकार : कपाल हसि िेखा्वत और िबेती हैं।
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ब्ोिर राररनोिर हसनिा
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