Page 27 - MANN KI BAAT (Hindi)
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प्रसताि,   खनयखमतीकरण,   नयाखयक   1950 को इसे अपनाने पर इसने कसथरता
          खनण्षय आखि के बारे में खनयम थे। यद्यखप   और वयिसथा की भािना प्रिान की और
          संसिीय प्रखरिया के ये खनयम बुद्ध द्ारा   राषट्र  के  शासन  के  खलए  एक  कानूनी
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          संघों  की  बैठकों  में  लागू  खकए  गए  थे,   ढाँचा  पेश  खकया।  सखिधान  ने  भारत
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          लेखकन उनहोंने इनहें अपने समय में िेश   की  लोकताखत्रक  संसथाओं  के  खलए
          में काय्षरत राजनीखतक असेमबखलयों के   आधारखशला के रूप में काम खकया है,
          खनयमों से उधार खलया होगा।”        खजसने इसकी राजनीखतक, सामाखजक
              उनकी  ये  खटपपखणयाँ  हमें  इस   और कानूनी प्रणाखलयों के खिकास का
                                                                    ं
          बारे  में  कई  गलतफहखमयों  को  िूर   माग्षिश्षन खकया है। िशकों से सखिधान
          करने में मिि करेंगी खक हमने अपनी   सामाखजक  नयाय  के  उद्ेशय  को  आग  े
          लोकतांखत्रक  तथा  संसिीय  परमपराओं   बढ़ाने, हाखशए पर पड़े समूहों को सशकत
          और बहुलता के प्रखत सममान को कहाँ   बनाने  और  वयककतगत  अखधकारों
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          तथा कब प्रापत खकया, जो लोकतांखत्रक   की  सुरक्षा  सखनकशचत  करने  में  एक
          लोकाचार का केंद्र हैं।            शककतशाली माधयम रहा है। खनषकष्ष के
              इसखलए  सखिधान  में  खनखहत  मूलय   तौर पर, भारतीय सखिधान का खनमा्षण
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          मौखलक  अखधकारों,  राजय  नीखत  के   िूरिखश्षता, प्रखतबद्धता और आम सहमखत
             दे
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          खनिशक  खसद्धातों  और  संघीय  शासन   बनाने  की  खिरासत  का  प्रखतखनखधति
          प्रणाली के समािेश से उभरे हैं, जो सभी   करता है। इसका प्रभाि पररित्षनकारी
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          भारत के लोकताखत्रक आिशशों को िशा्षत  े  रहा है, खजसने एक समप्रभु, लोकताखत्रक
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          हैं। सरकार के गणतत्रातमक सिरूप का   गणराजय के रूप में भारत के खिकास
          खिचार चार या पाँच सहस्ाक्ियों पहले का   की खिशा को तैयार खकया है। सखिधान
                                                                    ं
          है, जब भारत में कई गणराजय थे और   एक  शककतशाली  और  खिकासशील
          राजय  के  प्रमि  सखहत  सबका  चुनाि   िसतािेज के रूप में काम करना जारी
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          खकया जाता था। इसके अलािा, सखिधान   रिता  है,  जो  नयाय,  समानता  और
          के  भाग-IV  में  राजय  नीखत  के  खनिशक   सितंत्रता के मूलभूत खसद्धातों में खनखहत
                                    दे
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          खसद्धात जो सरकार को गरीबों, मजिूर   रहते हुए भारतीय समाज की बिलती
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          िग्ष,  समाज  के  िखचत  िगशों,  मखहलाओं   ज़रूरतों  के  अनुकूल  है।  सखिधान  के
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          और  बच्ों  की  सहायता  करने  के  खलए   खनमा्षताओं  की  िकषट  आज  भी  उतनी
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          नीखतयाँ अपनाने के िासत प्रररत करते हैं,   ही प्रासखगक है खजतनी 1950 में थी। यह
          उनह कौखटलय के अथ्षशासत्र में पाया जा   राषट्र के भखिषय के खलए एक कालातीत
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          सकता है, जो I-III शता्िी ईसिी पि्ष का है।   माग्षिश्षक प्रिान करती है और भारत
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              भारतीय  सखिधान  का  प्रभाि    की एकता तथा अिंडता को सखनकशचत
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          िूरगामी और गहरा रहा है। 26 जनिरी,   करती है।
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