Page 24 - MANN KI BAAT (Hindi)
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भारतीय संविधान का ननमामाण
विरासत और प्रभाि
तथा उन सब में
वयककत की गररमा और राषट्र की एकता
और अिणडता सुखनकशचत करने िाली
बनधुता बढ़ाने के खलए
ृ
िढ़ संकलप होकर अपनी इस संखिधान
सभा में आज तारीि 26 निमबर,
1949 ई. को एतद्द्ारा इस संखिधान को
अंगीकत, अखधखनयखमत और आतमाखप्षत
कृ
ए. सूय्ष प्रकाश करते हैं।
पूि्ष अधयक्ष, प्रसार भारती
भारत के संखिधान की प्रसतािना में
खलिा है–
हम, भारत के लोग, भारत को एक
समपूण्ष प्रभुति समपन्न, समाजिािी,
पंथ-खनरपेक्ष, लोकतंत्रातमक गणराजय
बनाने के खलए तथा उसके समसत
नागररकों को :
सामाखजक, आखथ्षक और राजनैखतक भारतीय संखिधान की खिरासत एक
नयाय, सुिढ़ समारकीय िसतािेज के रूप में है,
ृ
खिचार, अखभवयककत, खिशिास, धम्ष जो न केिल भारत की शासन संरचना को
और उपासना की सितंत्रता, पररभाखषत करता है, बकलक एक खिखिध,
प्रखतषठा और अिसर की समता प्रापत लोकतांखत्रक तथा बहुलिािी समाज की
कराने के खलए, आकांक्षाओं को भी मूत्ष रूप प्रिान करता
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