Page 54 - Mann Ki Baat - Hindi
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विद्ों में भारत की सांस्वतक छाप
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िलविक सम्धों और विरासत की कहामनयाँ
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...ये बा्तें, ये रटनाएँ वसफ्क भार्त की समृद्ध सांसकृव्तक विरास्त
सीमाओं को पार कर्ती जा रही है,
सफल्ता की कहावनयाँ नहीं जीिन को ्् रही ह और दवनया भर
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है, ये हमारी सांसकृव्तक में रचना्मक्ता, पररि्तघानशील्ता और
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विरास्त की गाथाएँ भी हैं। ज़िाि की प्ररक कहावनया पहँचा रही
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है। जैसा वक माननीय प्रधानमंत्ी न
ये उदाहरण गिघा से भर अपन सम्बोधन में चचाघा की, वमस्र में
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दे्त हैं। आटटू से आयुिवेद एक 13 िषजीय वदवयाग कलाकार द्ारा
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अपन मँह स ्ताजमहल की पेंवटिंग
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्तक और लैगिे़ि से लेकर बनान स लेकर पैरागिे में इंजीवनयर स े
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म्यूव़िक ्तक, भार्त में आयिवेद सलाहकार बनी मवहला द्ारा
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इ्तना कु् है, जो दुवनया में समग् उपचार के माधयम स लोगों का
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्ा रहा है। जीिन बदलन ्तक और वफजी में 80
िषषों के बाद ्तवमल भाषा की वशषिा को
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पुनजजीवि्त करन जैसी य उ्लखनीय
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-प्रधानमंत्ी नरेनद् मोदी (‘मन की कहावनया भार्त की कला, ज्ञान और
बा्त’ सम्बोधन में) भाषा की सािघाभौवमक अपील को
उजागर कर्ती हैं।
मैंने 6 या 7 साल की उम्र में पेंवटिंग करनी शुरू कर
दी थी। मेरे पररिार को मेरी सरल पेंवटिंग बहु्त पसंद
थी और उनहोंने मुझे खुद को बेह्तर बनाने, खुद को
सावब्त करने के वलए प्रो्सावह्त वकया वक पेंवटिंग मेरे
जीिन का वहससा है। कभी-कभी मैं उदास हो जा्ती
थी, लेवकन दूसरों के प्रो्साहन ने मुझे आगे बढ़ने के
वलए प्रेरर्त वकया। मैं भार्त में मानि और प्रकृव्त के
बीच के समनिय पर पेंवटिंग बनाने के बारे में सोच रही
हूँ, जैसे नवदयाँ, मंवदर और भार्तीय सजािट। भार्त
िास्ति में हर चीज में सादगी और सुंदर्ता का
संयोजन है।
-बसमाला मोहम्मद, ्तीसरे िषघा की ्ात्ा
गमाल अबदेल नासर माधयवमक विद्ालय,
50 असिान, सहारा, वमस्र
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