Page 27 - Mann Ki Baat - Hindi
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जरी. दुिा्षबाई

          वनभाती है। यह पल़ेटराम्ष ज्ाान और प्ऱेरणा के भंडार के
          रूप में काय्ष करता है, जो नागररकों को हमारी संवैधावनक
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          यात्रा के मूलयों, वसद्ांतों और महत्व स पररवचत कराता
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          है। यह इस बात पर प्रकार डालता है वक यह दसतावज
          प्रतय़ेक नागररक के अवधकारों और वजमम़ेदाररयों को
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          सुवननशचत करत हुए कैस भारत के वैनशवक महारनकत
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          में पररवत्षन का आधार रहा है।
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              इस  पहल  के  माधयम  स,  हमारा  उद्द़ेशय  युवा
                                                        ियोकलभाई दरौलिराम भट्ट
                                                          ु
          पीढ़ी,  ववद्ानों  और  नीवत  वनमा्षताओं  को  संववधान  की
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          प्रासंवगकता और हमार लोकतंत्र के भववषय को आकार
          दन में इसकी भूवमका के बार में साि्षक संवाद में रावमल
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          करना है।
              अंत में, भारतीय संववधान हमार संसिापक नताओं
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          की दूरदवर्षता और हमार लोकतंत्र की दृढ़ता का एक
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          वसीयतनामा है। जैसा वक हम इसके 75वें वर्ष पूर होन का
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          जश्न मना रह हैं, आइए हम इसके वसद्ांतों का सममान
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          करन, इसकी ववरासत को संजोन और एक ऐस राषट्
          के वनमा्षण की वदरा में प्रयास करऩे का संकलप लें, जहाँ   ियोपरीनाथ बयोरदयोलयोई
          प्रतय़ेक नागररक अपनी वासतववक क्मता का एहसास
          कर सके। जय वहनद!






                                                          ज्ानरी िुरमुख ससंह
                                                            मुसाक्िर

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