Page 28 - Mann Ki Baat - Hindi
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महाकम्भ
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युगों से आस्था और विरथासत की यथात्था
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कुमभ की ववऱेरता इसकी हर 12 साल में मनाया जान वाला
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ववववधता में भी है। इस आयोजन में महाकुमभ मला दुवनया का सबस बड़ा
करोड़ों लोग एक साि एकवत्रत होत़े हैं। रांवतपूण्ष समागम है। वहनदू पौरावणक
लाखों संत, हजारों परमपराएँ, सैकड़ों किाओं में गहराई स वनवहत यह
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समप्रदाय, अनकों अखाड़े, हर कोई इस आयोजन आसिा, संसकृवत और परमपरा
आयोजन का वहससा बनता है। कहीं का संगम है। सूय्ष, चंद्रमा और बृहसपवत
कोई भदभाव नहीं वदखता है, कोई बड़ा के जयोवतरीय संरखण द्ारा संचावलत यह
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नहीं होता है, कोई छोटा नहीं होता है।
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मला आंतररक रांवत और आधयानतमक
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-प्रधानमत्री नऱेनद्र मोदी एकता के वलए भारत की कालातीत
(‘मन की बात’ समबोधन में) खोज का प्रवतवनवधतव करता है।
प्रयागराज में, जहाँ गंगा, यमुना
और पौरावणक सरसवती नवदयाँ वमलती
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हैं, महाकुमभ के सबस प्रवतनषठत रूप
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का प्रदरन होता है। ‘तीि्षराज’ या तीि्ष
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सिलों के राजा के रूप में पहचान जान ़े
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वाल प्रयागराज का ऐवतहावसक महत्व
प्राचीन ग्रंिों और यात्रा वृत्तांतों में दज्ष
है। मौय्ष और गुपत युग स लकर मुगल
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काल तक यह रहर एक पववत्र और
सांसकृवतक केंद्र के रूप में ववकवसत
हुआ है। 7वीं रताबदी में भारत आए चीन
के यात्री जुआनजैंग न प्रयागराज को
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अपार प्राकृवतक सुंदरता, समृवद् और
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सांसकृवतक गहराई वाला क्त्र बताया
िा। इसके अलावा सम्ाट अकबर न ़े
इस एक प्रमुख तीि्ष सिल के रूप में
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सिावपत वकया और जमस वप्रंसप जैस ़े
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औपवनव़ेवरक प्ररासकों न इसकी
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भवयता का वण्षन वकया, वजसस यह
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सिायी रूप स आकर्षण का केंद्र बन
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