Page 22 - Mann Ki Baat - Hindi
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संवैधावनक सुधारों की तातकावलकता को   क़्ेत्रों, धमषों और समुदायों का प्रवतवनवधतव

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        महसूस करत़े हुए संववधान सभा सिावपत   करत ि़े, वजसस प्रवकया की समाव़ेवरता
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        करन का वनण्षय वलया। 1946 में संववधान   सुवननशचत हुई।
        सभा के वलए चुनाव हुए और भारतीय        संववधान  का  मसौदा  तैयार  करन  ़े
                                                       ़े
        राषट्ीय कांग्ऱेस प्रमुख पाटथी के रूप में   में  दो  साल  स  अवधक  का  समय
        उभरी। संववधान सभा का काय्ष एक ऐस  ़े  लगा।  सदसयों  न  सरकार  की  संरचना
                                                       ़े
        संववधान का मसौदा तैयार करना िा, जो   नागररकों  के  अवधकार  एवं  केंद्र  तिा

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        औपवनव़ेवरक कानूनों की जगह ल और    राजय  सरकारों  के  बीच  रनकतयों  के
        भारत को सवरासन के एक नए युग में   ववतरण  सवहत  रासन  के  हर  पहलुओं
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        ल जाए।                            पर सावधानीपूव्षक काम वकया। डॉ. बी
            संववधान  सभा  और  संववधान  का   आर आमब़ेडकर के नतृतव वाली सवमवत
                                                          ़े
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        मसौदा तैयार करनाः 9 वदसमबर, 1946   न मौवलक अवधकारों, सामावजक नयाय
        को डॉ. राज़ेनद्र प्रसाद के ऩेतृतव में भारत   और  समानता  स  समबंवधत  प्रावधानों
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        की संववधान सभा की पहली बैठक हुई।   का  मसौदा  तैयार  करन  में  महत्वपूण्ष
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        सभा  में  प्रमुख  नता,  बुवद्जीवी  और   भूवमका वनभाई। संववधान के वनमा्षताओं
        नयायववद् रावमल ि़े, जैस वक डॉ. बी आर   न  वरिवटर  संसदीय  प्रणाली,  अमरीकी
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        आमब़ेडकर, जो आग चलकर संववधान      अवधकार  ववधयक  और  आयररर
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        के मुखय वासतुकार बन। संववधान सभा   संववधान सवहत वववभन्न स्ोतों स प्ऱेरणा
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        में  299  सदसय  रावमल  ि़े,  जो  वववभन्न   ली।  बहुत  ववचार-ववमर  और  बातचीत
                                                            ्ष
                                          के बाद संववधान का अंवतम मसौदा 26
                                          नवमबर,  1949  को  अपनाया  गया।  26
                                          जनवरी,  1950  को  संववधान  लागू  हुआ,
                                          वजसन एक नए लोकतांवत्रक गणराजय
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                                          की रुरुआत की।
                                              भारत  का  संववधान  एक  ववववध
                                          राषट्  की  आकांक्ाओं  और  सपनों  का
                                          प्रवतवनवधतव  करता  है।  यह  सामावजक

                                          और  आवि्षक  सुधारों  की  आवशयकता
                                                   ़े
                                          को  पहचानत  हुए  लोकतंत्र,  नयाय  और
                                          समानता  के  मूलयों  को  सुवननशचत



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