Page 21 - Mann Ki Baat - Hindi
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          प्रवतवबनमबत करत हों। संवैधावनक सुधार   आदरषों को पूरी तरह स नहीं अपनाता
          की  वदरा  में  रुरुआती  प्रयास  भारतीय   िा।
          परररद अवधवनयम 1861 के साि रुरू हुए,   सवतंत्रता  और  संवैधावनक  सुधारों
          इसके बाद भारतीय परररद अवधवनयम     की  माँग  :  भारत  के  वलए  एक  अलग
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          1892  आया,  वजसन  ववधायी  प्रवकया  में   संववधान की माँग न सवतंत्रता के संघर्ष
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          सीवमत भारतीय भागीदारी की अनुमवत   के  दौरान  गवत  पकड़ी।  महातमा  गाँधी,
          दी। हालाँवक, प्रमुख मोड़ 1919 के मोंटेगयू-  जवाहरलाल  नहरू,  सुभार  चंद्र  बोस
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          चमसरोड्ट सुधारों के साि आया, वजसके   और  अनय  ऩेताओं  ऩे  भारत  को  एक
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                                                                   ं
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          कारण भारत सरकार अवधवनयम 1919      समप्रभु, लोकतावत्रक और गणतत्रातमक
          बना, वजसमें कुछ हद तक सवरासन का   राषट्  बनाऩे  की  जोरदार  वकालत  की।
          वादा वकया गया।                    उस  समय  की  प्रमुख  राजनीवतक  पाटथी
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              1935 में ‘भारत सरकार अवधवनयम   भारतीय राषट्ीय काग्रस ऩे 1935 में अपऩे
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          1935’  सवरासन  की  वदरा  में  सबस  ़े  सत्र  के  दौरान  द़ेर  के  वलए  एक  नया
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          महत्वपूण्ष  मील  का  पतिर  बन  गया,   संववधान बनान के वलए औपचाररक रूप
          वजसन  भववषय  के  संववधान  के  वलए   स  संववधान  सभा  के  गठन  का  आह्ान
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          आधार तैयार वकया। हालाँवक यह अब    वकया। सवतंत्रता के वलए आंदोलन त़ेज
          भी वरिवटर औपवनव़ेवरक वनयंत्रण में िा   होन  के  साि  ही  यह  आह्ान  और  भी
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          और लोकतंत्र, समानता तिा नयाय के   प्रमुख हो गया। वरिवटर सरकार ऩे 1946 में





























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