Page 16 - Mann Ki Baat - Hindi
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आओ दमलकर
फसलें उगाएँ,
सफलता की ओर
कदम बढाए ँ
सरलता की नई गािा वलख रहा है। य ़े तकनीकें सीख रहा है।
है कालाहांडी की ‘सबजी कांवत’। जहाँ सावियो, कालाहांडी की यह
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कभी वकसान पलायन करन को मजबूर सरलता हमें वसखाती है वक संकलप
ि़े वहीं आज, कालाहांडी का गोलामुंडा रनकत और सामूवहक प्रयास स कया नहीं
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बलॉक एक vegetable hub बन गया वकया जा सकता। मैं आप सभी स आग्रह
है। यह पररवत्षन कैस आया? इसकी करता हूँ :-
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रुरुआत वसर्फ 10 वकसानों के एक छोटे अपन क्त्र में FPO को प्रोतसावहत
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स समूह स हुई। इस समूह न वमलकर करें।
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एक FPO – ‘वकसान उतपाद संघ’ की वकसान उतपादक संगठनों स जुड़ें
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सिापना की, खती में आधुवनक तकनीक और उनहें मजबूत बनाएँ।
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का इसत़ेमाल रुरू वकया और आज याद रवखए– छोटी रुरुआत स भी
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उनका य FPO करोड़ों का कारोबार कर बड़े पररवत्षन समभव हैं। हमें बस दृढ़
रहा है। आज 200 स अवधक वकसान इस संकलप और टीम भावना की जरूरत है।
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FPO स जुड़े हैं, वजनमें 45 मवहला वकसान सावियो, आज की ‘मन की बात’
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भी हैं। य लोग वमलकर 200 एकड़ में में हमन सुना वक कैस हमारा भारत
टमाटर की खती कर रह हैं, 150 एकड़ में ववववधता में एकता के साि आग बढ़ रहा
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करल का उतपादन कर रह हैं। अब इस है। चाह वो खल का मैदान हो या ववज्ाान
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FPO का सालाना turnover भी बढ़कर का क्त्र, सवासि हो या वरक्ा– हर क्त्र
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डेढ़ करोड़ स ़जयादा हो गया है। आज में भारत नई ऊँचाइयों को छू रहा है।
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कालाहांडी की सनबजयाँ न केवल ओवडरा हमन एक पररवार की तरह वमलकर
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के वववभन्न वजलों में बनलक दूसर राजयों हर चुनौती का सामना वकया और नई
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में भी पहुँच रही हैं और वहाँ का वकसान सरलताएँ हावसल की। 2014 स रुरू
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अब आलू और पयाज की खती की नई हुए ‘मन की बात’ के 116 episodes
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