Page 14 - Mann Ki Baat - Hindi
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चुनौती रही है। आजादी के समय भी यह इसके उनमलन के वलए चाय बागान में
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हमारी सबस बड़ी सवास्थय चुनौवतयों में रहन वाल एकजुट हुए, तो इसमें कारी
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स एक िी। एक महीन स़े ल़ेकर पाँच हद तक सरलता वमलन लगी। अपन ़े
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साल तक के बच्ों की जान ल़ेन वाली इस प्रयास में उनहोंन Technology के
सभी सकामक बीमाररयों में मल़ेररया साि-साि Social media का भी भरपूर
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का तीसरा सिान है। आज, मैं संतोर स़े इसतमाल वकया है। इसी तरह हररयाणा के
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कह सकता हँ वक द़ेरवावसयों न वमलकर कुरुक्त्र वजल न मलररया पर वनयंत्रण
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इस चुनौती का दृढ़ता स़े मुकाबला वकया के वलए बड़ा अचछा model प़ेर वकया।
है। ववशव सवास्थय संगठन – WHO की यहाँ मलररया की monitoring के वलए
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ररपोट्ट कहती ह– ‘भारत में 2015 स 2023 जनभागीदारी कारी सरल रही है।
के बीच मल़ेररया के मामलों और इसस ़े नुककड़ नाटक और ऱेवडयो के जररए ऐस ़े
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होन वाली मौतों में 80 प्रवतरत की कमी संद़ेरों पर जोर वदया गया, वजसस मचछरों
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आई है।’ यह कोई छोटी उपलनबध नहीं की breeding कम करऩे में कारी मदद
है। सबस़े सुखद बात यह है, यह सरलता वमली है। द़ेरभर में ऐस़े प्रयासों स़े ही हम
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जन-जन की भागीदारी स वमली है। भारत मलररया के वखलार जंग को और तजी
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के कोऩे-कोन स़े, हर वजल स़े हर कोई स आग बढ़ा पाए हैं।
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इस अवभयान का वहससा बना है। असम सावियो, अपनी जागरूकता और
में जोरहाट के चाय बागानों में मल़ेररया संकलप रनकत स़े हम कया कुछ हावसल
चार साल पहल़े तक लोगों की वचंता की कर सकत हैं, इसका दूसरा उदाहरण ह ै
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एक बड़ी वजह बना हुआ िा। ल़ेवकन जब cancer स लड़ाई। दवनया के मरहूर
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