Page 42 - MAAN KI BAAT - HINDI
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आशवा्सन देते हुए घर पत् जलखते थे, जो उनके बजलदान के प्रजत उनकमी
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लजकन उन पत्ों के पहँचने ्से पहले हमी व े गहरमी श्द्धा का प्रतमीक है। उनहोंने 300
शहमीद हो जाते थे। इ्स्से प्रभाजवत होकर, शहमीदों कमी ्मूजत्मयाँ बनवाई हैं, ताजक यह
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उनहोंने प्रण जलया: जक्समी भमी शहमीद के ्सजनबशचत हो ्सके जक उनकमी जवरा्सत
पररवार को कभमी भमी यह ्ह्समू्स नहीं उनके गृहनगरों ्ें जमीजवत रहे। वे जबना
होगा जक उनहें भुला जदया गया है। रुके, इ्स जवशवा्स ्से प्रररत होकर का्
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15 प्से के पोसटकाड्ट के ज्ाने ्से, करते रहते हैं जक उनका जमीवन राषट् के
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उनहोंने शहमीद ्सजनकों के पररवारों को का् आना चाजहए।
्सांतवना और एकजुटता प्रदान करते हुए जजतेंद्र ज्संह कमी कहानमी एक ्सशकत
अनजगनत पत् जलखे हैं। आज वे 15,561 अनुस्ारक है जक देशभबकत केवल युद्ध
शहमीदों के पररवारों के ्समपक्क ्ें हैं, जो के ्ैदानों या वदथी तक ्समीज्त नहीं है।
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राषट् और उ्सके नायकों के बमीच एक यह प्रतयक नागररक ्ें जन्जात होतमी
जमीवंत ्सेतु हैं। है—देश के जलए अपने प्राणों कमी आहजत
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उनके ्स्प्मण कमी कोई ्समी्ा नहीं देने वालों को याद रखना, उनका ्सम्ान
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है। उनहोंने 2,500 शहमीदों के ्ाता- करना और उन्से प्ररणा लेना ह्ारा
जपता के चरणों कमी ज्ट्मी एकत् कमी ह ै कत्मवय है। उनका ज्शन इ्स जवचार को
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